आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में दरार और बेचैनी की अटकलों के बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करती है. राजस्थान में पार्टी के सत्ता में लौटने पर व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को लेकर फैसला किया जाएगा.
समाचार एजेंसी एएनआई से रविवार को बातचीत में पायलट ने कहा, "हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करते हैं. हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे और बहुमत हासिल करने के बाद, हमारे विधायक और पार्टी तय करेगी कि जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए. अगर किसी को कोई समस्या है तो इस सिस्टम में उन्हें इसे नेतृत्व के सामने उठाना चाहिए और चीजों को सुलझाना चाहिए. पायलट ने कहा, यह हमेशा हमारी पार्टी की परंपरा, नीति और इतिहास रहा है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि, "हमारी मानसिकता और उद्देश्य एकजुट होकर चुनाव लड़ना और बहुमत हासिल करना है. अगर लोग हमें सत्ता में वापस आने का आशीर्वाद देते हैं, तो हम मेज पर आमने-सामने बैठेंगे और तय करेंगे कि किसे क्या करना चाहिए. यही प्रक्रिया 2018 में अपनाई गई थी और यही इस लास दोहराई जाएगी. हालांकि, हमारी पहली प्राथमिकता बहुमत हासिल करना है.''
कांग्रेस ने राजस्थान की टोंक विधानसभा सीट से सचिन पायलट को मैदान में उतारा है. वह इसी निर्वाचन क्षेत्र से निवर्तमान विधायक हैं. भाजपा ने उनके खिलाफ इस सीट से पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को मैदान में उतारा है.
राजस्थान में एक ही चरण में 25 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी.
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 200 सदस्यीय सदन में 73 सीटें जीती थीं. बसपा विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से आखिरकार अशोक गहलोत ने सरकार बनाई थी और सीएम पद की शपथ ली थी.