- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर के विकास और नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है
- अमित शाह ने मार्च तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य घोषित किया है
- अगले पांच वर्षों में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाने का वादा किया गया है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को एक बार फिर बस्तर के विकास और नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है. वो छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित संभाग स्तरीय बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में भी शामिल होने पहुंचे थे. इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि नक्सलवादियों ने वर्षों तक बस्तर के विकास पर रोक लगाई. वे सड़क, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं के काम में बाधा बनते रहे, जिससे यह क्षेत्र पीछे रह गया। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और सरकार पूरी मजबूती से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रही है.
गृह मंत्री ने कहा अगले साल मार्च तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले पांच वर्षों में बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाया जाएगा.बस्तर के हर घर तक बिजली पहुंचेगी, हर घर में पानी की सुविधा होगी और लोगों को बेहतर जीवन मिलेगा. साथ ही बस्तर की समृद्ध और सुंदर आदिवासी संस्कृति को भी संरक्षित किया जाएगा, ताकि विकास के साथ बस्तर अपनी पहचान को और मजबूत कर सके.
अमित शाह ने कहा कि बस्तर ओलंपिक-2025 में सात ज़िलों की सात टीमें और एक टीम आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की थी. उन्होंने कहा कि जब 700 से अधिक सरेंडर्ड नक्सलियों ने इन खेलों में भाग लिया तो यह देखकर बहुत अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के झांसे में आकर उनका पूरा जीवन तबाह हो जाता और हथियार डालकर मुख्यधारा में आने वाले ऐसे 700 से अधिक युवा आज खेल के रास्ते पर आए हैं. शाह ने दोहराया कि 31 मार्च, 2026 को यह देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा. उन्होंने हिंसा में लिप्त नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि अब भी गुमराह होकर हमारे ही जो लोग हाथ में हथियार लेकर बैठे हैं, वो हथियार डाल दें, पुनर्वसन नीति का फायदा उठाएं, अपने और अपने परिवार के कल्याण के बारे में सोचें और विकसित बस्तर के संकल्प के साथ जुड़ जाएं.
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से किसी का भला नहीं होता, न हथियार उठाने वाले लोगों का, न आदिवासियों और न सुरक्षाबलों का भला होता है. सिर्फ शांति ही विकास का रास्ता प्रशस्त कर सकती है.केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके 700 नक्सलियों ने इन खेलों में खिलाड़ी के रूप में सामने आकर पूरे देश के लिए बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है.
उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों ने भय की जगह आशा चुनी, विभाजन की जगह एकता का रास्ता चुना और विनाश की जगह विकास का रास्ता चुना है और यही प्रधानमंत्री मोदी की नए भारत और विकसित बस्तर की संकल्पना है. अमित शाह ने कहा कि पिछले वर्ष बस्तर ओलंपिक में 1 लाख 65 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस वर्ष 3 लाख 91 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है, जो लगभग ढाई गुना की वृद्धि है और बहनों की प्रतिभागिता में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि यह उत्साह देखकर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने खेलो इंडिया ट्राइबल गेम्स के लिए छत्तीसगढ़ को चुना है.
आपको बता दें कि साल 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा था कि 31 मार्च 2026 तक भारत से लाल आतंक खत्म कर दिया जाएगा. तब कई लोगों ने इसे बड़ा राजनीतिक बयान माना, लेकिन ज़मीन पर चल रही कार्रवाई ने इस डेडलाइन को महज़ तारीख नहीं रहने दिया. डेडलाइन से लगभग 4 महीने पहले ही रेड कॉरिडोर के दो राज्यों ने खुद को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया. वो इलाके, जहां कभी पुलिस कैंप बनाना भी मौत को न्योता देने जैसा था, आज वहां बिना डर विकास की गाड़ियां चल रही हैं.
तय समय से पहले खत्म होगा नक्सलवाद
जिस लाल गलियारे को कभी देश की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती माना जाता था, आज वही गलियारा सिमटता जा रहा है. माडवी हिडमा जैसे खूंखार माओवादी कमांडर का खात्मा, करोड़ों के इनामी नक्सलियों का एक-एक कर सरेंडर और तय समय से पहले नक्सल मुक्त राज्यों के ऐलान ये साफ संकेत हैं कि नक्सलवाद अब अंतिम दौर में है. सुरक्षाबलों की रणनीति बदली है, कार्रवाई तेज़ हुई है और जंगलों में बचे कैडर के सामने अब सिर्फ दो ही रास्ते हैं या तो हथियार डालें, या फिर गोलियों का सामना करें.
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