अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए पिछले साल जान गंवाने वाले महाराष्ट्र के एक अग्निवीर के परिवार ने कहा है कि उन्हें सरकार से 1.08 करोड़ रुपये की सहायता मिली है. परिवार का यह बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सोमवार को दिए गए उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान देने वाले अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना का जिक्र करते हुए दावा किया था कि सरकार अग्निवीरों को "इस्तेमाल करके फेंक देने वाले मजदूर" मानती है और उन्हें "शहीद" का दर्जा भी नहीं देती. इस पर रक्षा मंत्री ने कहा था कि कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान देने वाले अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है.
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पिंपलगांव सराय के मूल निवासी अग्निवीर अक्षय गवटे की 21 अक्टूबर 2023 को सियाचिन में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए मौत हो गई थी. अक्षय के पिता लक्ष्मण गवटे ने सोमवार शाम यहां पत्रकारों से कहा कि अक्षय की मौत के बाद परिवार को "बीमा कवर के रूप में 48 लाख रुपये, केंद्र सरकार से 50 लाख रुपये और राज्य सरकार से 10 लाख रुपये मिले."
उन्होंने अक्षय की बहन के लिए सरकारी नौकरी की भी मांग की. उन्होंने उनके बेटे की मौत के बाद मिले मुआवजे के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही. अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून, 2022 को की गई थी. इसमें 17 से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को केवल चार साल के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान किया गया था, जिनमें से 25 प्रतिशत को आगे 15 और वर्षों के लिए बनाए रखने का प्रावधान है. सरकार ने बाद में ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया.