CCD के फाउंडर की मौत के सहारे विजय माल्या ने भारतीय बैंकों और एजेंसियों पर साधा निशाना, ट्वीट कर कही ये बात...

सिद्धार्थ सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार को मंगलुरू के पास नेत्रावती नदी में उनका शव स्थानीय मछुआरों और पुलिस को मिला.

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वित्तीय संकट से जूझ रहा भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या इन दिनों इंग्लैंड में है.
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वीजी सिद्धार्थ की मौत की आड़ में भारतीय बैंको पर माल्या ने साधा निशाना
विजय माल्या ने भारतीय बैंको और एजेंसियों को बताया क्रूर और निर्दयी
सोमवार से लापता वीजी सिद्धार्थ का शव बुधवार को नदी किनारे मिला
नई दिल्ली:

कैफे कॉफी डे संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की मौत के सहारे भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या में भारत की बैंकों और एजेंसियों पर निशाना साधा है. माल्या ने इन्हें वीजी सिद्धार्थ की मौत का दोषी और क्रूर बताया है. माल्या ने ट्वीट कर कहा,  " मैं वी . जी , सिद्धार्थ से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ हूं. वह एक बढ़िया इंसान और बुद्धिमान उद्यमी थे.  मैं उनके खत में लिखी बातों को देखकर टूटा हुआ महसूस कर रहा हूं. सरकारी एजेंसियां और बैंक किसी भी इंसान को निराशा में डाल सकती हैं. मेरे साथ क्या हो रहा है आप देख सकते हैं. मेरी कर्ज अदायगी की पेशकश के बावजूद मेरे साथ क्या कर रही हैं. ये निंदनीय और निर्मम है. "

एक अन्य ट्वीट में माल्या ने लिखा , "पश्चिमी देशों में सरकार और बैंक कर्जदारों को कर्ज चुकाने में मदद करते हैं. मेरे मामले में वह कर्ज अदायगी में हर तरह से रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रही हैं और मेरी संपत्तियों को पाने की होड़ में लगी हैं.

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बता दें सिद्धार्थ सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार को मंगलुरू के पास नेत्रावती नदी में उनका शव स्थानीय मछुआरों और पुलिस को मिला. सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के निदेशक मंडल को लिखे कथित पत्र में आयकर विभाग पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया है. सिद्धार्थ ने पत्र में कहा, ‘‘मैं एक उद्यमी के तौर पर विफल रहा.' हालांकि इस बात की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह पत्र स्वयं उन्होंने लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि मैंने इसे सबकुछ दे दिया. मैं उन सभी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के लिए माफी मांगना चाहता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया.' सिद्धार्थ ने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी लेकिन, “आज मैं हिम्मत हार रहा हूं क्योंकि मैं निजी इक्विटी साझेदारों में से एक की तरफ से शेयर वापस खरीदे जाने का और दबाव नहीं झेल सकता हूं, एक लेन-देन जो मैंने छह माह पहले एक दोस्त से बड़ी मात्रा में धनराशि उधार लेकर आंशिक तौर पर पूरा किया था.' (इनपुट-भाषा)

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