VIDEO: "3 अच्छे ह्यूमन रिसोर्स को थ्री इडियट्स क्यों कहा?" - जब जगदीप धनखड़ ने Aamir Khan से पूछा

जगदीप धनखड़ 'मन की बात @100' कॉन्क्लेव में अपनी बात रख रहे थे. प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी के आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम की 100वीं कड़ी आगामी रविवार को प्रसारित होगी.

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री के रोडियो कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरा होने पर आयोजित 'मन की बात @100' कॉन्क्लेव का उद्घाटन जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने बुधवार को किया. इस दौरान मजाकिया अंदाज में ही उन्होंने कई गंभीर बातें कहीं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब भी आमिर खान को देखता हूं. तो मैं सोचता हूं, पता नहीं तीन अच्छे ह्यूमन रिसोर्स को इन्होंने थ्री ईडियट्स क्यों कहा? लेकिन इनकी एक बात की मैं बहुत अधिक सराहना करता हूं कि फिल्म में इन्होंने कहा था कि मैं अपने सबसे कमजोर छात्र का हाथ नहीं छोड़ता हूं.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैंने 'मन की बात' का कोई एपिसोड नहीं छोड़ा है. कुछ चुनौती मेरे सामने आई. पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था, वहां तो और भी चुनौतियां थी. जब से इस पद पर आया हूं तो रिकॉर्डेड सुनता हूं.

भारत में जबरन चुप करवाने के दावों पर पीड़ा होती है : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की ‘जबरन चुप कराने' की टिप्पणी पर तंज करते हुए  कहा कि भारत में जितनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, उतनी दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती. उन्होंने मासिक कार्यक्रम को राजनीति से दूर रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देश के लिए उम्मीद की किरण और हर आदमी की दिल की बात बन गई है.

"हम अपनी उपलब्धियों को कैसे नजरंदाज कर सकते हैं?"

जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ लोगों के देश में या बाहर जाकर ‘शुतुरमुर्ग वाला रूख अख्तियार करने की आलोचना की और पूछा कि हम अपनी उपलब्धियों को कैसे नजरंदाज कर सकते हैं? सोनिया गांधी के हाल के लेख ‘इंफोर्स्ड साइलेंस' के परोक्ष संदर्भ में धनखड़ ने कहा कि भारत में जितनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, उतनी दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती.

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे यह देखकर कई बार पीड़ा होती है कि हमारा बुद्धिजीवी वर्ग क्या कर रहा है. जबरन चुप करने को लेकर लम्बे लेख लिखे जा रहे हैं. देश में जबरन चुप कैसे किया जा सकता है. इतनी अधिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दुनिया के किसी और स्थान पर नहीं मिल सकती है. ''
 

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