उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने पिछले हफ्ते उनके खिलाफ संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव पर पहली बार सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी है. धनखड़ ने तंज कसते हुए कहा कि बाइपास सर्जरी के लिए कभी भी सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल न करें. साथ ही उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद की गरिमा केा बनाए रखना जरूरी है.
उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति के खिलाफ नोटिस देखें... (उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी हैं)... आप चौंक जाएंगे. (पूर्व प्रधानमंत्री) चंद्रशेखरजी ने एक बार कहा था, "बाईपास सर्जरी के लिए कभी भी सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल न करें".
... तो आप कई दिन सोए नहीं होते : धनखड़
धनखड़ ने महिला पत्रकारों से कहा, "वह नोटिस कोई सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था...जंग लगा हुआ था. जल्दबाजी थी. जब मैंने इसे पढ़ा, तो मैं आश्चर्यचकित रह गया." उन्होंने आगे कहा, "लेकिन जिस बात ने मुझे अधिक आश्चर्यचकित किया वह यह थी कि आपमें से किसी ने भी इसे नहीं पढ़ा.अगर पढ़ा होता तो ... आप कई दिनों तक सोए नहीं होते."
धनखड़ ने अभिव्यक्ति के अधिकार की आवश्यकता पर भी जोर दिया और इसे "लोकतंत्र की परिभाषा" बताया. साथ ही कहा, "यदि अभिव्यक्ति सीमित है, समझौता किया गया है या जबरदस्ती के अधीन किया गया है तो लोकतांत्रिक मूल्य त्रुटिपूर्ण हैं. यह लोकतांत्रिक विकास के खिलाफ है."
लोकतंत्र की सफलता के लिए दो चीजें जरूरी : धनखड़
साथ ही कहा, "किसी भी संवैधानिक स्थिति को गौरव, उत्कृष्ट गुणों और संवैधानिकता के प्रति प्रतिबद्धता से प्रमाणित किया जाना चाहिए. हम हिसाब-किताब बराबर करने की स्थिति में नहीं हैं... क्योंकि लोकतंत्र की सफलता के लिए, दो चीजें अविभाज्य हैं: अभिव्यक्ति और संवाद."
उन्होंने कहा, "इससे पहले कि आप अपने वोकल कोड का इस्तेमाल करें... अपने कानों को दूसरे दृष्टिकोण का मनोरंजन करने दें. इन दो तत्वों के बिना लोकतंत्र का न तो पोषण किया जा सकता है और न ही इसे विकसित किया जा सकता है."
विपक्षी 60 सांसदों ने किए थे हस्ताक्षर
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 10 दिसंबर को राज्यसभा में विपक्ष ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. विपक्ष की ओर से राज्यसभा सचिव पीसी मोदी को ये नोटिस दिया गया. धनखड़ पर सदन में पक्षपातपूर्ण बर्ताव करने का आरोप है. इस नोटिस पर विपक्ष की तरफ से 60 सांसदों ने साइन किए हैं. हालांकि, इस नोटिस पर कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद सोनिया गांधी समेत कुछ पार्टियों के बड़े नेताओं ने साइन नहीं किए थे.
विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया गया था , जिसमें धनखड़ का नाम गलत लिखा जाना और 14 दिन की नोटिस अवधि की कमी शामिल है.