पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने संसद में मनरेगा की जगह VB G RAM G बिल पेश करने का विरोध किया है. थरूर ने भी बिल के विरोध में अपना मत व्यक्त किया. थरूर ने शायराना अंदाज में कहा, देखो दीवानों ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम मत करो. उन्होंने महात्मा गांधी का नाम योजना से हटाने का विरोध करते हुए ये बात कही. उनके इस गाने पर विपक्षी सांसदों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया. इस विधेयक को लेकर लोकसभा में की बार हंगामा देखने को मिला. उन्होंने कहा कि सिर्फ जी राम जी लिखकर ऐसा करना ठीक नहीं है.
थरूर ने इसे पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बताया. महात्मा गांधी का रामराज्य सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सामाजिक आर्थिक ब्लूप्रिंट था. यह सामाजिक सशक्तीकरण और उनकी ग्राम स्वराज की अवधारणा का हिस्सा था. यह समाज के सबसे पिछली पायदान पर खड़े व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने का प्रयास था.
यह अनुच्छेद 14 में समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है. इसमें जो 40 फीसदी वित्तीय बोझ राज्यों पर डाला गया है, वो गरीब राज्यों के लिए बहुत मुश्किलें लाने वाला है. वो अपने राज्यों की गरीब कल्याणकारी योजनाओं में मुश्किलें आएंगी. यह संघीय भावना को भी चोट पहुंचाने वाला है. इससे पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की बात कही थी. प्रियंका गांधी ने कहा, मनरेगा कानून की जगह जो नया विधेयक लाया गया है, उससे कानून में ग्रामीण कामगारों के अधिकार को कमजोर किया गया है.
प्रियंका गांधी ने कहा कि विकसित भारत जी राम जी विधयेक गलत है. योजना की नाम बदलने की प्रक्रिया में बहुत पैसा खर्च होता है. मनरेगा में गरीब लोगों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी है, लेकिन नया विधेयक मनरेगा के हक को कमजोर करेगा. मनरेगा का बजट हर साल घटाया जाता रहा है. अब इस नए विधेयक में ग्राम पंचायतों के अधिकार को भी खत्म किया गया है. सरकार मनरेगा को निरस्त करने और एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक ला सकती है. नए विधेयक का नाम विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025 होगा.
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यह बिल संविधान की भावना के खिलाफ है.इससे पंचायती राज कानून भी कमजोर होगा, क्योंकि ग्राम पंचायतों की जो भूमिका है, मनरेगा को लागू करने में वह कमजोर होगी. अब तक मनरेगा पर कुल खर्च का 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती थी, लेकिन अब देश के अधिकतर राज्यों में केंद्र सरकार सिर्फ 60 फीसदी खर्च ही वहन करेगी.
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने भी कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है. महात्मा गांधी की जगह जी राम जी का नाम नहीं है. भगवान राम सम्मानित हैं, लेकिन महात्मा गांधी का नाम हटाकर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. वहीं प्रियंका गांधी ने कहा, हर योजना का नाम बदलने की सनक है. सरकार इसमें पैसा फूंक रही है. यह बिल वापस लिया जाना चाहिए.














