- माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर भूस्खलन में 34 लोगों की मौत और 20 घायल हुए, राहत कार्य जारी हैं
- मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की
- भारतीय वायुसेना ने छह एमआई-17 और एक चिनूक हेलीकॉप्टर के साथ राहत अभियान में तेजी लाई है
कभी श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजने वाला माता वैष्णो देवी मंदिर का मार्ग आज शोक और सन्नाटे से भरा है. मंगलवार को आए विनाशकारी भूस्खलन ने न केवल 34 जिंदगियां लील लीं, बल्कि हजारों परिवारों को अनिश्चितता और भय के अंधेरे में धकेल दिया. अर्धकुंवारी मार्ग, जो तीर्थयात्रा का प्रमुख विश्राम स्थल है, अब मलबे और चट्टानों के ढेर में तब्दील हो चुका है. श्रद्धालुओं की भीड़ जहां कभी भक्ति और उमंग से भरी होती थी, वहां अब रोते-बिलखते लोग अपने प्रियजनों की तलाश में भटक रहे हैं.
कटरा का आधार शिविर, अस्पताल और अस्थायी सहायता केंद्र अब केवल राहत और बचाव के केंद्र नहीं, बल्कि पीड़ितों की उम्मीदों का सहारा बन गए हैं. शुभम साहू जैसे कई श्रद्धालु अपने साथियों को खोने की पीड़ा में टूट चुके हैं. शुभम की 11 सदस्यीय टीम में से तीन लोग अब भी लापता हैं. “लौटते समय अचानक जमीन धंस गई… सब कुछ कुछ ही सेकंड में खत्म हो गया,” शुभम की कांपती आवाज उस भयावह क्षण का एहसास कराती है.
सरकार ने किया मदद का ऐलान
अधिकारियों के अनुसार, राहत और बचाव दल ने मलबे से शव निकालने का काम जारी रखा है. बुधवार तक मृतकों की संख्या 34 तक पहुंच गई, जबकि घायलों की संख्या 20 बताई गई है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के परिजनों को छह-छह लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की बात कही.
भारतीय वायुसेना ने राहत और बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए छह एमआई-17 हेलीकॉप्टर और एक चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किए. एक सी-130 परिवहन विमान राहत सामग्री लेकर जम्मू पहुंच चुका है. शाम तक 90 लोगों को बचाया गया, जिनमें कुछ भारतीय सेना के जवान भी शामिल हैं.
सवालों के घेरे में श्राइन बोर्ड और प्रशासन
इस हादसे के बाद श्राइन बोर्ड के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मौसम विभाग की चेतावनी पहले से थी. फिर भी यात्रा को जारी रखने की अनुमति क्यों दी गई? क्या इन जिंदगियों को बचाने के लिए हमें कदम नहीं उठाने चाहिए थे?”
मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि जम्मू-कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश के चलते भूस्खलन और बाढ़ की संभावना है. इसके बावजूद यात्रा को बिना रोक-टोक जारी रखना आज प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.
सिर्फ जम्मू नहीं, पूरा उत्तर भारत प्रभावित
यह हादसा अकेला नहीं है. बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव के कारण उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है. पंजाब में निचले इलाकों में जलभराव, ट्रेनों की रद्दीकरण और स्कूलों के बंद होने की खबरें हैं. दक्षिण भारत में भी दक्षिण-पश्चिम मानसून से कर्नाटक और तेलंगाना के कई हिस्से पानी में डूबे हैं.
जम्मू-कश्मीर में बारिश का कहर इतना है कि बुधवार को मृतकों की कुल संख्या 41 तक पहुंच गई. इनमें से 34 मौतें सिर्फ वैष्णो देवी मार्ग पर हुई हैं. राहत दलों को उम्मीद है कि मौसम साफ होने के बाद फंसे लोगों तक पहुंचने में तेजी आएगी.
मानवीय त्रासदी के बीच उम्मीद की किरण
कटरा के अस्पतालों में घायल श्रद्धालुओं का इलाज जारी है. सहायता केंद्रों पर खाने-पीने से लेकर अस्थायी आश्रय तक की व्यवस्था की जा रही है. कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने भी राहत कार्यों में हाथ बढ़ाया है.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि संचार व्यवस्था और बिजली बहाल करने की कोशिशें जारी हैं. “लोग अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. हमारी पहली प्राथमिकता है कि बिजली और मोबाइल नेटवर्क को जल्द से जल्द बहाल किया जाए.
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