कोरोना वैक्सीन लगाने में तमाम तरह की गड़बड़ियों की बात सामने आ रही है. कई लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई लेकिन उनके पास वैक्सीन लग जाने के मैसेज और सर्टीफीकेट आ गए हैं. गाजियाबाद नगर निगम में बीजेपी के पार्षद देवेंदर भारती भी ऐसी ही घटना का शिकार हुए हैं. निगम के टीकाकरण केंद्र पर 24 जून को ये अपने बेटे और पत्नी के साथ टीका लगाने गए. पत्नी को टीका लग गया लेकिन देवेंदर और उनके बेटे को टीके की कमी की वजह से बिना टीका लगाए वापस लौटना पड़ा. पर 28 जून को उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि आपका टीकाकरण हो चुका है. जब उन्होंने आरोग्य सेतु पर इसे चेक किया तो उनका और उनके बेटे का टीकाकरण का सर्टीफीकेट आ चुका था. जबकि टीका उन्हें अभी तक नहीं लगा है. उनका आरोप है कि CMO फोन उठाते नहीं हैं. देवेंदर ने निगम के कमिश्नर से मिलकर अपनी आपबीती बताई.
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देवेंदर भारती कहते हैं, 'मेरे आरोग्य सेतू पर सार्टीफिकेट निकल कर आया है, मेरे बेटे का भी सार्टीफीकेट आ गया है जबकि टीका लगा ही नहीं है. CMO फोन ही नहीं उठाते हैं. अब मैं कहां टीका लगवाऊं, मेरे नाम से तो टीका लग चुका है. मैं अब डीएम से मिलूंगा.'
बीजेपी के पार्षद देवेंदर भारती ही नहीं बल्कि मेरठ के दीपक के साथ भी यही हुआ है. दीपक ने अपनी बुजुर्ग मां के लिए मेरठ में टीके का स्लॉट बुक कराया लेकिन बुखार आने की वजह से वो गई नहीं पर दूसरे दिन दीपक के मोबाइल पर उनके टीका लगने का मैसेज आ गया. अब वो शिकायत करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.
दीपक कहते हैं, 'मुझे एक और मैसेज आया कि आप अपना सर्टीफीकेट डाउनलोड कर लें. ये सर्टीफीकेट है, लगाने वाली प्रीती हैं लेकिन मेरी मां टीका लगवाने गई ही नहीं. अब सरकार से मैं ये पूछना चाह रहा हूं कि जब मां गई ही नहीं तो टीके का मैसेज कैसे आया.'
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एक तरफ सैकड़ों लोग टीका लगाने के लिए धक्के खा रहे हैं, घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद टीके की कमी से नंबर नहीं आ रहा है. दूसरी तरफ बिना टीका लगे ही लोगों को टीकाकरण का प्रमाणपत्र मिल रहा है. अंदरखाते स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आधार नंबर नोट करवाने के चलते ऐसी गलती हो सकती है. लेकिन ऐसी धांधली बड़े पैमाने पर नहीं है. वहीं उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग जांच करवाने की बात कह रहे हैं.
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