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- धराली में बादल फटने से आई बाढ़ ने लगभग आधे गांव को मलबे में दबा दिया और भारी तबाही मचाई
 - सेना, ITBP, SDRF और NDRF की टीमें हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को बचा रही है
 - मलबा हटाने के लिए BRO मशीनों का उपयोग कर रहा है और करीब 50 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं
 
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 हमें बताएं।- धराली में बादल फटने से तबाही: उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को तबाह कर दिया. खीरगंगा में अचानक आई बाढ़ ने मिट्टी, मलबा और पानी के तेज़ बहाव से गांव का बड़ा हिस्सा बहा दिया, जिससे कई लोग फंस गए और कई लापता हो गए. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राहत कार्यों की निगरानी की. उन्होंने कहा कि हर जान कीमती है और सरकार हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है.
 - युद्धस्तर पर MI-17 और चिनूक से रेस्क्यू: बादल फटने की सूचना मिलते ही सेना, ITBP, SDRF और NDRF की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू शुरू कर दिया गया. सेना के MI-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है. धराली गांव में करीब आधे घर पूरी तरह से मलबे में दब गए हैं. BRO के अनुसार, 20 से 40 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है. अब तक 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि 60 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं. इनमें सेना के 11 जवान भी शामिल हैं, जो बाढ़ के दौरान लापता हो गए.
 - जिंदगी की तलाश में खोजी कुत्ते: NDRF ने पहली बार कैडावर डॉग्स को राहत कार्यों में लगाया है. वहीं चार स्निफर डॉग्स भी तैनात किए गए हैं जो जीवित लोगों की तलाश कर रहे हैं. सेना के इंजीनियरिंग रेजीमेंट ने मलबे में दबे लोगों को खोजने के लिए विशेष मशीनरी लाने की योजना बना ली है. कैप्टन गुरप्रीत सिंह ने बताया कि तकनीकी टीम स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर राहत कामों लगी है. गंगोत्री धाम से लौट रहे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला गया. प्रशासन ने बताया कि 250 से अधिक लोग गंगोत्री क्षेत्र में फंसे थे, और उन्हें निकाला जा रहा है.
 - एविएशन बेस बनाया गया, इलाज में जुटे डॉक्टर्स: मताली हेलिपैड पर एक अस्थायी एविएशन बेस बनाया गया है, जहां से हेलीकॉप्टरों का संचालन किया जा रहा है. इससे राहत सामग्री और मेडिकल टीमों को तेजी से प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने धराली और हर्सिल में मेडिकल टीमें तैनात की हैं. एक 9 सदस्यीय टीम को हेलीकॉप्टर से भेजा गया है, जो स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर घायलों का इलाज कर रही है. मताली में एक अलग 12 सदस्यीय मेडिकल टीम तैनात की गई है, जिसमें 7 डॉक्टर और 5 पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं. अब तक 70 से अधिक घायलों का इलाज हो चुका है.
 - घायलों को एम्स किया गया रेफर: गंभीर रूप से घायल लोगों को एम्स ऋषिकेश और आर्मी अस्पताल में रेफर किया गया है. उत्तरकाशी जिला अस्पताल में 9 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनकी हालत स्थिर है. मानसिक आघात से जूझ रहे लोगों के लिए मनोचिकित्सकों की टीम तैनात की गई है. ये टीमें लगातार काउंसलिंग कर रही हैं ताकि प्रभावित लोग मानसिक रूप से स्थिर हो सकें.
 - धराली तक क्यों नहीं पहुंच पा रही तेजी से मदद: बाढ़ के कारण राज्य में 163 सड़कें बाधित हुई हैं, जिनमें 5 राष्ट्रीय राजमार्ग, 7 राज्य राजमार्ग और 2 सीमा सड़कें शामिल हैं. इससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है, लेकिन BRO और प्रशासन मिलकर रास्ते खोलने की कोशिश में जुटे हैं. लिमचिगढ़ में पुल बह जाने से धराली और हर्षिल का संपर्क टूट गया है. BRO ने पुल निर्माण सामग्री भेज दी है और रास्ता साफ होते ही निर्माण शुरू किया जाएगा.
 - महाराष्ट्र के 16 लोग अभी लापता: महाराष्ट्र के जलगांव जिले के 16 लोग अभी भी लापता हैं. इनमें पर्यटक, स्थानीय निवासी और निर्माण कार्य में लगे मजदूर शामिल हैं. सेना के 14 राज राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन 150 सैनिकों की टीम के साथ राहत कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिविर बह जाने के बावजूद टीम पूरी हिम्मत से काम कर रही है.
 - पुलिसकर्मी भी कर रहे मदद: बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिपलकोटी के पास मलबा गिरने से रास्ता बंद हो गया है. यह मार्ग आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे खोलने के प्रयास जारी हैं. राज्य सरकार ने राहत कार्यों के लिए 160 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है, जिनमें 10 वरिष्ठ अधिकारी और 3 एसपी रैंक के अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी राशन और दवाओं के वितरण की निगरानी कर रहे हैं.
 - त्रासदी को देख सहम गए लोग: त्रासदी को देखने वाले अंदर तक सहम गए. देखने वालों ने बताया कि ढलानों से बहता हुआ मलबा नीचे की ओर आता चला गया जिसमें आधे से ज्यादा धराली गांव तबाह हो गया, ऊंची-ऊंची इमारतें जमींदोज हो गयीं और अपनी जान बचाने को भागते लोग उसमें समा गए. महिलाओं के गमगीन चेहरे यह बताने के लिए काफी हैं कि उस गांव में हुए जानमाल के विनाश से वे कितनी दुखी हैं. वे चारों तरफ फैले पड़े मलबे को ऐसे देखती हैं जैसे उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि आपदा आने से पहले तक एक खूबसूरत और जीवंत गांव का 70 से 90 प्रतिशत हिस्सा अब मलबे के नीचे दब चुका है.
 - लोगों ने क्या कुछ बताया: एक होटल में काम करने वाले जयवीर नेगी ने बताया, “धराली में 400 लोगों की आबादी है. घटना के समय कुछ लोग बाजार में थे, कुछ अन्य गांव में चल रहे हरदूध मेले में थे और दोपहर के भोजन का समय होने के कारण कुछ अन्य अपने घरों में थे, बाहर से आए हुए पर्यटक होटलों में थे.” गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा, “आपदा में लापता लोगों की संख्या 50-60 होगी. धराली में आपदा से कम से कम 300-400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ होगा.” धराली में ‘हिमगिरि' नामक होटल का संचालन करने वाले संजय सिंह पंवार ने कहा कि वह सैलाब में ध्वस्त हो गया.
 
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