उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का फैसला सोमवार को, धामी दौड़ में सबसे आगे

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस बैठक में प्रदेश भाजपा के नेताओं से भावी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रायशुमारी की.

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मुख्यमंत्री की दौड़ में पुष्कर सिंह धामी सबसे आगे हैं.
नई दिल्ली/देहरादून:

उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला सोमवार को देहरादून में होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक में हो जाएगा. सूत्रों की मानें तो इस दौड़ में कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सबसे आगे हैं. इस पहाड़ी प्रदेश में चुनावी नतीजे आने के बाद ही भाजपा की सरकार बननी तय हो गयी थी लेकिन 10 दिनों तक सरकार गठन को लेकर पार्टी में शीर्ष स्तर पर चली कवायद के बाद भी आधिकारिक रूप से यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.

बहरहाल, यह कवायद रविवार को अंतिम दौर की ओर पहुंचती दिखाई दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस बैठक में प्रदेश भाजपा के नेताओं से भावी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रायशुमारी की.

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, संगठन महासचिव बी एल संतोष और राज्य के केंद्रीय चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी मौजूद थे. इन नेताओं ने धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भावी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार विमर्श किया. बैठक के बाद धामी ने बताया कि सोमवार को विधायक दल की बैठक होगी और इसमें मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाई जाएगी. उन्होंने बताया कि वह इसके लिए देहरादून रवाना हो रहे हैं.

कौशिक ने संवाददाताओं को बताया कि सोमवार को विधानसभा में सभी नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण होगा और इसके बाद विधायक दल की बैठक होगी.

देहरादून में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि भाजपा ने अपने ​नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक यहां राज्य मुख्यालय में सोमवार को चार बजे बुलाई है. इस बैठक में नए नेता का चयन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बैठक में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सह पर्यवेक्षक के रूप में विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी भी मौजूद रहेंगी.

बता दें, उत्तराखंड में भाजपा ने शानदार बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन मुख्यमंत्री धामी को खटीमा से हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई और इसे दूर करने के लिए भाजपा में शीर्ष स्तर पर मंथन का दौर चालू हो गया जो लगातार जारी है.

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सूत्रों के मुताबिक हार के बावजूद धामी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं. शाह के आवास पर जारी बैठक में धामी की मौजूदगी भी इसका संकेत करती है. बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि कई विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट खाली करने का प्रस्ताव दिया है.

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सूत्रों के अनुसार चौबट्टाखाले के विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर के विधायक धन सिंह रावत, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं.

गौरतलब है कि प्रदेश में 14 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव के इस माह घोषित परिणामों में भाजपा 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सत्तासीन होने जा रही है. 'उत्तराखंड फिर मांगे, मोदी-धामी की सरकार' के नारे के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा को धामी के अपनी परंपरागत सीट खटीमा से हारने के बाद नेतृत्व को लेकर नए सिरे से निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ा है.

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भाजपा की उत्तराखंड इकाई के सूत्रों ने कहा कि धामी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि वह न केवल युवा और ऊर्जावान हैं, बल्कि भाजपा ने पहाड़ी राज्य में उनके नाम पर चुनाव लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की.

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के धामी के नाम पर मुहर लगाने का फैसला करने की एक और बड़ी वजह यह हो सकती है कि उसे पिछले कार्यकाल में बेहद कम समय में दो मुख्यमंत्रियों को बदलने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

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एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अगर उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी सीट गंवाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है तो धामी को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता है?”

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अगर पार्टी किसी नए चेहरे का चयन करने का फैसला लेती है तो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाना काफी अहम होगा.

चूंकि, कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता अजय भट्ट को पहले ही केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया जा चुका है, ऐसे में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के लिए गढ़वाल के एक ठाकुर या राजपूत नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जा सकता है.

अगर ऐसा होता है तो सतपाल महाराज या धन सिंह रावत, जो गढ़वाल के प्रमुख ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा चेहरा बनकर उभर सकते हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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