उत्तराखंड : पिथौरागढ़, चंपावत में कई लोगों के पास भारत और नेपाल की दोहरी नागरिकता

एसएसबी अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड में मौजूद बल की सभी 54 सीमावर्ती चौकियों में तैनात बल कार्मिक भारतीय भूभाग में रहने वाले ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं जिनके पास भारत और नेपाल की दोहरी नागरिकता है. 

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एसएसबी अधिकारी ने बताया कि दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों की पहचान की जा रही है. (प्रतीकात्‍मक)
पिथौरागढ़:

उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले बहुत से लोगों के पास नेपाल और भारत की दोहरी नागरिकता है और ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के अल्मोड़ा क्षेत्र के उप महानिरीक्षक डी एन बोम्बे ने बताया, ‘‘भारत-नेपाल सीमा पर पिथौरागढ़ जिले के झूलाघाट तथा चंपावत जिले के कुछ क्षेत्रों में हमें ऐसे मामले मिले हैं. इसके बारे संबंधित जिला प्रशासनों को सूचित कर दिया है.''

एसएसबी अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड में मौजूद बल की सभी 54 सीमावर्ती चौकियों में तैनात बल कार्मिक भारतीय भूभाग में रहने वाले ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं जिनके पास भारत और नेपाल की दोहरी नागरिकता है. उन्होंने बताया कि इस काम में एसएसबी संबंधित जिला प्रशासनों की मदद भी ले रहा है. 

पिथौरागढ़ के उप जिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि भारत में दो तरह के नेपाली लोग रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहली श्रेणी में वे लड़कियां शामिल हैं जो शादी करके भारत आ गईं, लेकिन उन्होंने अपनी नेपाल की नागरिकता नहीं छोड़ी और न ही भारतीय नागरिकता हासिल की. 

शुक्ला ने बताया कि दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जिनका पूरा परिवार बिना भारत की नागरिकता लिए नेपाल से भारतीय भूभाग में आकर बस गया. उपजिलाधिकारी ने कहा, ‘‘हमें ऐसे बहुत से मामले मिले हैं जिनमें नेपालियों ने फर्जी तरीके से भारत में आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र हासिल कर लिए. हमने उनके फर्जी दस्तावेजों को तत्काल निरस्त कर दिया है.''

एसएसबी के उप महानिरीक्षक ने कहा कि वन्यजीव अंगों और मादक पदार्थ की तस्करी के अलावा हम मानव तस्करी को रोकने को भी प्राथमिकता दे रहे हैं जिसके लिए हमने विशेष दल बनाए हैं. 

एसएसबी एक अर्धसैनिक बल है जिसके पास 1740 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी है. इनमें से 254 किलामीटर लंबी सीमा उत्तराखंड में है. 

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उन्होंने बताया कि दल उनके कार्मिक सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के साथ नजदीकी संपर्क रखते हैं जिससे कि वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने के बारे में पता चल जाता है. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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