उत्तराखण्ड के चमोली जिले में 7 तारीख को आई आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, तपोवन पॉवर प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 34 मजदूरों को निकालने की कोशिश अभी भी चल रही है. टनल के एक तरफ से सेना और ITBP के जवान बचाव कार्य मे लगे है. मंगलवार शाम से टनल की दूसरी तरफ वायुसेना के विशेष दस्ते को उतार कर टनल में रास्ता बनाये जाने का काम भी शुरू किया गया है. वहीं. ग्लेशियर टूटने से आई जल प्रलय से ऋषि गंगा और तपोवन पावर प्रोजेक्ट में बह गए करीब दो सौ लोगो को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ खोजने में लगी है. अभी तक 32 शव बरामद हो चुके हैं, जिनमें दो पुलिस कर्मी भी शामिल है.
लापता लोगो में ज्यादातर यूपी से है इसलिए यूपी सरकार ने हरिद्वार में एक कंट्रोल रूम बनाया है, जहां मुख्यमंत्री योगी ने तीन मंत्रियों को नियुक्त किया है जोकि हालात पर नजर रखे हुए है और उत्तराखण्ड सरकार से कॉर्डिनेशन बनाये हुए है. तपोवन से आगे नीति घाटी को जाने वाली सड़क और पुलों की मरम्मत का काम बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने शुरू कर दिया है. घाटी के 11 गांवों का संपर्क पुलों के बह जाने से टूटा हुआ है और यहां आईटीबीपी और वायुसेना के जरिये रसद पहुंचाई जा रही है.
वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के विज्ञानियों का प्रारंभिक आकलन है कि दो दिन पहले उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़ झूलते ग्लेशियर के ढह जाने की वजह से आयी। झूलता ग्लेशियर एक ऐसा हिमखंड होता है जो तीव्र ढलान के एक छोर से अचानक टूट जाता है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा, ‘रौंथी ग्लेशियर के समीप एक झूलते ग्लेशियर में ऐसा हुआ, जो रौंथी/मृगुधानी चौकी (समुद्रतल से 6063 मीटर की ऊंचाई पर) से निकला था.' हिमनद वैज्ञानिकों की दो टीम रविवार की आपदा के पीछे के कारणों का अध्ययन कर रही हैं. उन्होंने मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण भी किया. (इनपुट भाषा से भी)
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