उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले के नंदप्रयाग—घाट मोटर मार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर सोमवार को यहां विधानसभा का घेराव करने के लिए पहुंचे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प की घटना की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं. यहां जारी एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण के समीप दीवालीखाल में घाट ब्लॉक के लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों और पुलिस प्रशासन के बीच घटित घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसको गंभीरता से लिया गया है.
CM त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ''संपूर्ण घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.'' प्राप्त जानकारी के अनुसार, सड़क चौडीकरण की मांग को लेकर घाट ब्लॉक के प्रदर्शनकारी बजट सत्र के पहले दिन यहां विधानसभा घेराव के लिए निकले. रास्ते में दीवालीखाल में उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड हटा दिए, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी झड़प हो गई थी. विधानसभा जाने पर अडे़ प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार की तथा हल्का लाठीचार्ज भी किया. इसके बाद भी प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में विधानसभा की ओर चलते गए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
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पिछले दो माह से नंदप्रयाग—घाट मोटर मार्ग के चौडीकरण की मांग कर रहे घाट व्यापार संघ के अध्यक्ष तथा आंदोलन के नेता चरण सिंह ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. वहीं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि दीवालीखाल से करीब 450 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.
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उन्होंने कहा कि घटना की वीडियो के आधार पर उपद्रव करने वालों की पहचान की जा रही है और उसके आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि घटना में एक पुलिस सर्किल अधिकारी और एक महिला कांस्टेबल सहित 6 से 7 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं. सत्ताधारी दल BJP ने भी घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उत्तराखंड भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि यह घटना घटित नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि मुख्यमंत्री पहले ही प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों को मुख्य सड़क से जोडने की सैद्धांतिक घोषणा कर चुके थे.
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