उत्तराखंड के कई जिलों में मानसून के शुरुआती दौर में ही बाढ़ (Uttarakhand Flood) का खतरा मंडराने लगा है. पिथौरागढ़ जिले में काली नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है. अधिकारियों ने नदी किनारे बसे गांवों के निवासियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है.पिथौरागढ के डीएम आनंद स्वरूप ने कहा कि नदी 889.60 मीटर पर बह रही है. जबकि उसका खतरे का निशान 890 मीटर पर है. नदी के जलस्तर को देखते हुए धारचूला से झूलाघाट के बीच अलर्ट जारी कर दिया गया है. चमोली जिले में बारिश से कई जगह हाईवे मलबा आने के कारण बंद हो गया है
प्रशासनिक अधिकारियों से नदी के समीपवर्ती गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने को कहा गया है. धारचूला, डीडीहाट और पिथौरागढ के उपजिलाधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.प्रशासनिक और बाढ़ नियंत्रण से जुड़े अधिकारियों के अलावा सीमा सड़क संगठन और लोक निर्माण विभाग सहित सभी संबंधित एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया गया है. सुरक्षा कारणों से काली नदी पर बने पुलों से आवाजाही रोक दी गई है.
उत्तराखंड के चमोली जिले में भी शुक्रवार से हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.लगातार बारिश के कारण पहाडों से सड़कों पर मलबा आ गया है. इससे बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग समेत गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को जोड़ने वाला ग्वालदम—गैरसैंण हाईवे भी बंद हो गया है.बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पीपलकोटी से बदरीनाथ के बीच दो अलग-अलग स्थानों पर मलबा आने से अवरुद्ध है. जबकि ग्वालदम मार्ग थराली और कर्णप्रयाग के बीच तथा गैरसैंण मार्ग सिमली और आदिबद्री के बीच बंद है.