उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat) मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की चर्चा के बीच सोमवार दोपहर को BJP नेतृत्व से मुलाकात करने वाले हैं. ऐसी खबरें हैं कि पार्टी के ही विधायकों की बढ़ती नापसंदगी के कारण रावत को हटाया जा सकता है.
रावत दोपहर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से मिलेंगे. उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चा उस वक्त तेज हो गई थी, जब केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को शनिवार देहरादून भेजा गया था. राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं. बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने पार्टी विधायकों, मंत्रियों और आरएसएस के नेताओं से भी मुलाकात की और उनकी राय जानी. मुख्यमंत्री से भी पर्यवेक्षकों ने मुलाकात की.
इसके बाद दोनों पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दी. त्रिवेंद सिंह रावत की जगह केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) और सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) के नामों की चर्चा है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि रावत को हटाया जा सकता है, लेकिन उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष बंशीधर भगत ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है.
कहा जा रहा है कि बीजेपी के कई विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन के लिए कथित तौर अपनी बात रखी है, क्योंकि उन्हें महसूस होता है कि रावत के नेतृत्व में पार्टी के अगले साल दोबारा चुनाव जीतने की संभावना नहीं है. रावत के आलोचकों का कहना है कि मुख्यमंत्री उनके साथ संवाद कायम करने में नाकाम रहे हैं.
60 साल के त्रिवेंद्र सिंह रावत को लो प्रोफाइल नेता माना जाता है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है. लेकिन उन पर आरोप है कि वे फैसले नहीं लेते हैं और पार्टी के कई नेताओं को लगता है कि यह चुनाव में बीजेपी के खिलाफ जा सकता है. कुछ ओपिनियन पोल में भी उन्हें औसत से भी कम आंका गया है. हालांकि बीजेपी ने पहले भी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले हैं, लेकिन इससे पार्टी को चुनाव जीतने में मदद नहीं मिली.
कांग्रेस भी ऐसे बदलावों के बावजूद चुनाव नहीं जीत सकी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव के ठीक पहले नेतृत्व में परिवर्तन सीधे तौर पर यह संकेत देता है कि सरकार का प्रदर्शन खराब रहा है और विपक्षी दल इस मुद्दे को राज्य की सरकार के खिलाफ जोरशोर से उठा सकते हैं.