अगले महीने से शुरू हो रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Polls 2022) को लेकर सियासी जंग तेज हो गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने यूपी चुनाव से पहले मथुरा (Mathura) में अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान गुरुवार को वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर में पूजा-अर्चना की. शाह की इस यात्रा को अयोध्या (Ayodhya) और वाराणसी (Varanasi) के बाद मथुरा को हिंदुत्व के तीसरे गढ़ के रूप में पेश करने के भाजपा (BJP) के प्रयासों के अनुरूप माना जा रहा है. जिसके केंद्र में भगवान कृष्ण का जन्मस्थान कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (Krishna Janmabhoomi temple) है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों ने हाल ही में कहा था कि अयोध्या और काशी के मंदिरों के बाद अब मथुरा के कायाकल्प की बारी है. पहले, खबरें आई थीं कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के बजाये मथुरा से चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिस शहर का मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में 18 बार दौरा किया है.
मंदिर स्थल का दौरा करने पर, एनडीटीवी ने पाया कि मुख्य मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर भव्य एंट्री गेट के निर्माण का काम जोरों पर चल रहा है. हालांकि, मथुरा में कुछ लोगों के लिए मंदिर का मेकओवर भावनात्मक अहमियत रखता है जबकि अन्य मथुरा के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.
मरम्मत क्षेत्र के पास एक चाय की दुकान पर बैठे एक स्थानीय व्यक्ति रमेश त्रिपाठी ने कहा, "अयोध्या और काशी के बाद मथुरा का महत्व है और यह अच्छी बात है कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. हम बीजेपी को वोट देंगे. हालांकि, चीजें बनती और बिगड़ती हैं... यह बेरोजगारी है, जिसे हल करने की जरूरत है. पिछले कुछ सालों में रोजगार की स्थिति और बिगड़ी है."
एक अन्य स्थानीय शख्स योगेंद्र कुमार ने कहा, "सरकार ने अच्छा काम किया है. यह मंदिर का पूरा रास्ता, जो आप देख रहे हैं, उन्हीं की वजह से बन रहा है. यहां से भाजपा की जीत होगी."
मंदिर परिसर में शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Eidgah Masjid) है, जिसे मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) के शासनकाल के दौरान बनाया गया था. बिल्कुल अयोध्या जन्मभूमि केस की तरह, मथुरा की एक अदालत में दीवानी वाद में मस्जिद को हटाने की मांग की गई है. मुस्लिम, जो कि मथुरा की आबादी का 15 से 17 फीसद हैं, भगवान कृष्ण की पूजा और साज-सज्जा में इस्तेमाल होने वाले कपड़े और अन्य सामान बनाने में प्रमुख रूप से शामिल हैं. उनका मानना है कि विकास की कमी ने उन्हें बीजेपी से दूर कर दिया है.
मोहम्मद शानू नाम के एक शिल्पकार ने कहा, "कोई विकास नहीं हो रहा है. चारों ओर बेरोजगारी है. जब से महामारी की मार पड़ी है तब से बमुश्किल ही यहां मंदिर में कोई दर्शन को आता है. हमारा सामान कौन खरीदेगा? मंदिर-मस्जिद का कोई मतलब नहीं है."
मथुरा से बीजेपी के उम्मीदवार श्रीकांत शर्मा मौजूदा समय में विधायक और राज्य के बिजली मंत्री हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 1.4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.
शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "विकास हमेशा पहले है. हम तहे दिल से विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हमारा वैचारिक भक्तिभाव भी है. यह सरकार 'सनातन धर्म' वालों की है. इसलिए 'सनातन धर्म' मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. अन्य सभी दलों ने मंदिर से मुंह फेर लिया था. हमने ऐसा नहीं किया."
श्रीकांत शर्मा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से चार बार के विधायक रहे प्रदीप माथुर हैं.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "बीजेपी विकास के मामले में विफल रही है. उनके नेता जनता के लिए कभी उपलब्ध नहीं होते हैं और जनता परेशान होती है. वे किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जो 'जनसेवा' (जनसेवा) करे. उन्हें राजा नहीं चाहिए. कृष्ण जन्मभूमि उनके लिए केवल एक बहाना है. यह एक सार्वजनिक मुद्दा नहीं है. यमुना प्रदूषण और महंगी बिजली जैसे वास्तविक मुद्दों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है. अगर मैं सत्ता में आता हूं, तो मैं दरों को कम करने की कोशिश करूंगा और खराब बिजली मीटर की समस्या का समाधान भी करूंगा."