UP: लंदन में 129 करोड़ रुपये का वारिस बनाने का लालच दिखा समगोत्रीय इंजीनियर से ऐंठे 60 लाख, तीन गिरफ्तार

तरुण को जब पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है तब उन्होंने मामला दर्ज कराया. मामले की जांच कर रही साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक रीता यादव तथा उनकी टीम के लोगों ने  अलीमुद्दीन, अनिस तथा असलीम नामक तीन लोगों को गिरफ्तार किया.

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पुलिस के अनुसार, पीड़ित तरुण वार्ष्णेय से 8 जनवरी, 2019 को एक ई-मेल के माध्यम से संपर्क किया गया था. (सांकेतिक तस्वीर)
नोएडा:

यूपी साइबर अपराध थाना पुलिस ने 60 लाख रुपए की साइबर ठगी के मामले में शुक्रवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया. तीनों आरोपी जनपद बरेली के कैथल गांव के रहने वाले हैं. उत्तर प्रदेश के पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध) डॉक्टर त्रिवेणी सिंह ने बताया कि तरुण बार्ष्णेय नामक एक व्यक्ति ने नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज कराया था कि कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया तथा ब्रिटेन में जमीन देने के बारे में बातचीत की.

आरोपियों ने उन्हें बताया कि उनके नाम का एक व्यक्ति ब्रिटेन में रहता था, जिसकी मौत हो गई है और वह मृतक की संपत्ति उनके नाम करा देंगे. सिंह ने बताया कि ठगों ने तरुण से विभिन्न खातों में करीब 60 लाख रुपए स्थानांतरित करवा लिए. उन्होंने कहा कि ठगों ने नोएडा के आईटी इंजीनियर तरुण से कहा था कि वह 12.5 मिलियन पाउंड का मालिक हो जाएगा और अमीर बन जाएगा.

पुलिस के अनुसार, पीड़ित तरुण वार्ष्णेय से 8 जनवरी, 2019 को एक ई-मेल के माध्यम से संपर्क किया गया था, जिस पर ''एडवोकेट ब्रूस एडी'' के नाम से हस्ताक्षर किए गए थे.

पुलिस ने एक बयान में कहा, "इंजीनियर को 2015 में लंदन में एक कार दुर्घटना में एक भारतीय मूल के व्यक्ति ब्रज वार्ष्णेय की मौत के बारे में सूचित किया गया था. यह दावा किया गया था कि मृतक के पास 12.5 मिलियन पाउंड थे और इंजीनियर को उनके गोत्र से मेल खाने के कारण उनके नामित के रूप में चुना गया है." 

तरुण को जब पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है तब उन्होंने मामला दर्ज कराया. मामले की जांच कर रही साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक रीता यादव तथा उनकी टीम के लोगों ने  अलीमुद्दीन, अनिस तथा असलीम नामक तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों में असलीम साइबर ठगों को खाता उपलब्ध करवाने का काम करता है.

 उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि कैथल गांव के कई लोग ऐसे कामों के लिए साइबर ठगों को अपने बैंक खाते उपलब्ध करा रहे हैं.


 

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