- हर्षिल घाटी में आए सैलाब में लगभग 200 से अधिक लोग फंस गए हैं
- काली देवी और उनके पति विजय सिंह अपने बेटे को तलाश रहे हैं
- सैलाब ने हर्षिल घाटी में सड़क और पुल निर्माण कार्य को पूरी तरह नुकसान पहुंचाया है जिससे संपर्क बाधित हो गया है
पापा हम बचेंगे नहीं..नाले में बहुत पानी आ गया है…हर्षिल से उनके बेटे की दो मिनट की इस अंतिम कॉल को याद करके नेपाल की रहने वाली काली देवी और उनके पति विजय सिंह रो रहे हैं…नेपाल के रहने वाली काली देवी पांच तारीख़ को 12 बजे भटवाड़ी के लिए निकल गई थी..वो और उनके पति बच गए बाक़ी 26 लोगों के समूह में से किसी से अब संपर्क नहीं हो पा रहा है. हर्षिल में नेपाली मूल के 26 मज़दूर हर्षिल घाटी में मजदूरी करने के लिए रुके हुए थे.
हेलीपैड पर बैठकर रो रही हैं मां
काली देवी पांच तारीख को क़रीब 11 बजे भटवाड़ी जाने के लिए हर्षिल घाटी से निकली थी लेकिन उन्होंने ये नहीं सोचा था इस तरह का सैलाब आ जाएगी. काली देवी ने बताया कि अगर उनको ये पता होता कि इतना बड़ा सैलाब आएगा तो मैं आती ही नहीं. वो लगातार भटवाड़ी हेली पैड पर बैठकर रो रही हैं कह रही हैं सरकार से बस यही अपील है कि हमें हर्षिल घाटी छोड़ दें हम खुद अपने बच्चों को खोज लेंगे.
कल काली देवी और विजय सिंह पैदल चलकर गंगवाडी गए थे लेकिन पुल बह जाने की वजह से वो आगे नहीं बढ़ पाए. हर्षिल घाटी में सड़क और पुल बनाने का काम चल रहा था उस वक्त आर्मी और बहुत सारे मजदूर वहां काम कर रहे थे लेकिन हर्षिल में तीन बजे आए सैलाब ने सब कुछ ज़मींदोज़ कर दिया.
गंगवाडी से आगे रास्ता बंद होने से हर्सिल घाटी का संपर्क कटा
उत्तर काशी से करीब 80 किमी दूर हर्षिल घाटी का सामरिक महत्व बहुत है इसीलिए आर्मी का बेस कैंप भी है. सेना के 11 जवान भी बह गए थे दो जवान को बचा लिया गया है. नौ अभी लापता हैं. भटवाड़ी से करीब तीस किमी दूर गंगवाडी तक NDTV INDIA की टीम भी गई लेकिन BRO का 100 मीटर लंबा लोहे का पुल पूरी तरह ग़ायब हो चुका है.
भागीरथी नदीं का वेग इतना है कि बड़े बड़े पत्थर को भी बहा ले गई है. गंगवाडी में जहां पुल बना है वहां करीब 25-30 मीटर खाई है. इसी के चलते ज़मीनी रास्ते से NDRF SDRF और प्रशासन नहीं पहुंच पा रही है. NDRF ने इसको पार करने की कोशिश की लेकिन वो भी घंटों मशक़्क़त के बाद पार नहीं कर पाई…अब आर्मी की मदद लेने पर विचार हो रहा है.
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