अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को भारत पहुंच रहे हैं और इस दौरान उनका अफगानिस्तान में तेजी से बदलती सुरक्षा स्थिति, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और कोविड-19 प्रतिक्रिया प्रयास को मजबूत करने के तरीकों समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा उनके व्यापक एजेंडे में शामिल है. अमेरिकी विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद ब्लिंकन की यह पहली भारत यात्रा होगी और जनवरी में सत्ता में आने के बाद बाइडन प्रशासन के किसी उच्च पदस्थ अधिकारी की यह तीसरी भारत यात्रा होगी.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने गत मार्च में भारत का दौरा किया था जबकि जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी ने अप्रैल में नयी दिल्ली की यात्रा की थी.
एंटोनी ब्लिंकन का अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करने का कार्यक्रम है. वह बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. इसके बाद अपने दो राष्ट्रों के दौरे के अगले पड़ाव कुवैत के लिये रवाना हो जाएंगे.
विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ब्लिंकन के दौरे की घोषणा करते हुए कहा था, “विदेश मंत्री ब्लिंकन का दौरान उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता को जारी रखने और भारत-अमेरिकी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने का एक अवसर है.” उसने कहा, “दोनों पक्ष मजबूत और बहुआयामी भारत-अमेरिका संबंधों की समीक्षा करेंगे और उन्हें और मजबूती देने की संभावनाओं को टटोलेंगे.”
दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के लिये सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्प्सन ने शुक्रवार को कहा था कि चर्चा सुरक्षा, रक्षा, साइबर और आतंकवाद निरोधी सहयोग के क्षेत्र में संबंध को बढ़ाने पर होगी.उन्होंने कहा, “हम इन मुद्दों पर सरकार के साथ सहयोग करते हैं जिनमें अमेरिका-भारत कार्यकारी समूह की बैठकें भी शामिल हैं और हम ज्यादा सुरक्षित दुनिया सुनिश्चित करने के लिये भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिये आशान्वित हैं.”
इस दौरे के एजेंडे के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों पक्ष अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें देश के नए इलाकों पर कब्जा जमाने की तालिबान की बढ़ती कोशिशों पर चर्चा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी संभावनाएं तलाशेंगे जिनमें इस साल बाद में अमेरिका में होने वाली ‘टू प्लस टू' रक्षा व विदेश मामलों की बैठक से पहले सैन्य अभ्यास, रक्षा हस्तांतरण और प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं.
दोनों पक्ष हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाने के साथ ही कोविड-19 रोधी प्रतिक्रिया को विस्तार देने के तरीकों पर भी चर्चा करेंगे. दोनों पक्षों के क्वाड टीका पहल को लागू करने की दिशा में भी चर्चा करने की उम्मीद है.
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