- डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, भारत पर भी असर संभावित!
- भारत रूस से सबसे सस्ता और सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता है, जो अब उसका प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है.
- हालांकि तेल आपूर्ति के लिए भारत के पास रूस के अलावा इराक, सऊदी अरब, यूएई और ब्राजील जैसे स्रोत हैं.
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, उनके एक के बाद एक फैसले ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है. पिछले कुछ महीनों से वो लगातार अलग-अलग देशों पर टैरिफ बम (Trump Tariff) फोड़ रहे है. भारत (India) को जहां पहले अमेरिका (US) ने राहत दे रखी थी, अब हालात पहले जैसे नहीं रहे. रूस से भारत की दोस्ती पर भी अमेरिका चिढ़ा हुआ है. ट्रंप नहीं चाहते कि भारत, रूस से तेल की खरीद करे. रूस पर उन्होंने अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात कही है. वहीं, उन्होंने टैरिफ के अलावा भारत पर जुर्माना लगाने तक की बात कह दी है.
जुर्माना कितना होगा और क्या वे इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) से बात करेंगे? इस सवाल पर ट्रंप ने कहा, 'मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. मैंने यही सुना है, मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं. यह एक अच्छा कदम है. हम देखेंगे कि क्या होता है.'
कभी रूस की प्रशंसा करते थे ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब रूस के खिलाफ एक आक्रामक रुख अपनाया है. ये वही ट्रंप हैं जो कभी व्लादिमीर पुतिन की तारीफ करते थे और यूक्रेन के जेलेंस्की को दोषी बताते थे. लेकिन अब वही ट्रंप रूस के खिलाफ सेकेंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं और इसका सीधा असर भारत पर पड़ सकता है. दरअसल, ट्रंप की राजनीति में 'लेवरेज' यानी प्रभाव की बड़ी भूमिका रही है. वो कहते हैं कि जब आपके पास किसी चीज की जरूरत दूसरों को हो, तो वह आपके लिए ताकत बन जाती है. इसी रणनीति के तहत ट्रंप अब रूस पर तेल के जरिए दबाव बनाना चाहते हैं.
रूस को ट्रंप का अल्टीमेटम
इस हफ्ते ट्रंप ने रूस को 10-12 दिन का अल्टीमेटम दिया है, या तो समझौता करो, या सेकेंडरी टैरिफ झेलो. यह टैरिफ उन देशों पर लागू होंगे जो रूसी तेल खरीदते हैं. मतलब भारत और चीन जैसे देश सीधे निशाने पर हैं. ट्रंप की योजना के तहत ऐसे देशों पर 100% आयात शुल्क लगाया जा सकता है.
भारत किसी देश के दबाव में नहीं
जून में रूस ने हर दिन करीब 40 लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात किया था. अगर इस सप्लाई पर रोक लगती है तो वैश्विक ऊर्जा बाजार हिल सकता है. इस बीच ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट की है कि शीर्ष रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने अबू धाबी से 20 लाख बैरल की आपूर्ति के अलावा कम से कम 50 लाख बैरल अमेरिकी कच्चा तेल खरीदा है. इस हफ्ते की शुरुआत में सरकारी ऑयल प्रोसेसिंग कंपनियों को गैर-रूसी कच्चा तेल खरीदने की योजना बनाने के लिए कहा गया था. सरकार ने भी इन्हें वैकल्पिक स्रोत तलाशने को कहा है. हालांकि भारत की स्थिति अभी संतुलित दिख रही है. तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत अब 40 देशों से तेल खरीदता है और किसी के दबाव में नहीं आने वाला.
रूस से कितना तेल खरीदता है भारत?
2025 में भारत ने रूस से सबसे ज़्यादा और सबसे सस्ता तेल खरीदा है. रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जिससे भारत कुल 1.5 से 2.1 मिलियन बैरल प्रति दिन तक कच्चा तेल मंगाता है. साल की पहली छमाही में औसत 1.75 मिलियन बीपीडी था, लेकिन जुलाई में यह घटकर 1.5 मिलियन बीपीडी पर आ गया.
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत कच्चे तेल का सिर्फ 0.2% हिस्सा रूस से खरीदता था, लेकिन 2022 के बाद इसमें तेज़ी आई और यह हिस्सेदारी बढ़कर 35-40% तक पहुंच गई. इस बदलाव के पीछे एक प्रमुख कारण रूस द्वारा बड़ी छूट पर तेल की पेशकश रही, जिसे भारत ने रणनीतिक रूप से अपनाया. अब रूस इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है.
केवल रूस पर निर्भर नहीं भारत
रूस से भारत को यह तेल भारी छूट पर मिल रहा है, जो ब्रेंट या डब्ल्यूटीआई जैसे बेंचमार्क से $5–10 प्रति बैरल सस्ता पड़ता है. हालांकि भारत केवल रूस पर निर्भर नहीं है. वह इराक, सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका और ब्राजील से भी बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है. इराक, भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है.
- इराक: 8.93 लाख बैरल प्रतिदिन
- सऊदी अरब: 5.81 लाख बैरल प्रतिदिन
- यूएई: जून 2025 में 4.90 लाख बैरल प्रतिदिन
- अमेरिका: 51% वृद्धि के साथ अब 2.71 लाख बैरल प्रतिदिन
इसके अलावा ब्राजील भी एक विकल्प है, जहां से इस साल आयात में 80% वृद्धि हुई है. पश्चिम एशिया अभी भी भारत के लिए तेल का अहम स्रोत है, लेकिन अमेरिका और ब्राजील जैसे नए स्रोत भी भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति में शामिल हो चुके हैं. कुल मिलाकर, भारत ने तेल आपूर्ति के लिए अपनी निर्भरता को कई देशों में फैला दिया है.
आखिर कितना बर्दाश्त करे कोई!
रूस ने ट्रंप की 'Dead Economy' वाली टिप्पणी का जवाब और भी तीखा दिया है. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप को 'Dead Hand' की याद दिला दी, वो पुराना सोवियत रूस का परमाणु सिस्टम, जो हमले की स्थिति में अपने आप जवाबी मिसाइलें छोड़ सकता था. ये एक तरह से स्पष्ट चेतावनी है कि अगर ट्रंप ने रूसी तेल को निशाना बनाया, तो रूस चुप नहीं बैठेगा.
जानकार मानते हैं कि राजनीति में कई बार जरूरत से ज्यादा दबाव डालना फायदे की जगह नुकसान बन जाता है. भारत और रूस ने जिस तरह प्रतिक्रियाएं दी हैं, वैसे में ट्रंप का 'लेवरेज' काम करेगा या फिर ये दांव उन्हीं पर भारी पड़ जाएगा, इस पर दुनिया की नजरें हैं.