यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में क्या खासियत है... क्या ये नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से बेहतर है? यूपीएस को अपनाने वाले कर्मचारियों को क्या पहले से ज्यादा लाभ होगा? दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को सरकारी कर्मचारियों के लिए यूपीएस को मंजूरी दे दी है. कहा जा रहा है कि इस योजना से केंद्र सरकार के लगभग 23 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा. इस योजना के अंतर्गत अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल तक नौकरी की है, तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन मिलना तय है. पूर्व वित्त सचिव अजय दुआ ने NDTV को एक खास बातचीत में बताया कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम की खासियत और फायदे.
सुनिश्चित पेंशन की मांग कर रहे थे कर्मचारी
भारत सरकार के पूर्व सचिव अजय दुआ ने बताया, "सरकार का ये बहुत अच्छा कदम है. मैं तो कहूंगा कि इसे कुछ सालों पहले ही लाना चाहिए था. कर्मचारियों की मांग थी कि हमें सुनिश्चित पेंशन चाहिए. हमें मार्केट लिंक्ड पेंशन नहीं चाहिए. नया एनपीएस, जो 2004 से लागू हुआ था, उसमें कर्मचारियों का कॉन्ट्रिब्यूशन था.. सरकार का योगदान था और ये सारे पैसे स्टॉक मार्केट या पेंशन अथॉरिटी द्वारा तय संस्थाओं में लगते थे. इससे अनिश्चितता आ गई थी, कि कितनी पेंशन होगी? इसकी वजह यह भी कि उसके ऊपर मार्केट का प्रभाव था. यही वजह थी कि पिछले कुछ सालों में राज्यों के चुनावों में यह बड़ा मुद्दा बन गया था. जब नॉन एनडीए सरकार आई, तो उन्होंने इसे रद्द कर दिया था और पुरानी ओपीएस पर चले गए थे."
OPS जैसी ही है नई स्कीम
अजय दुआ ने बताया, "अब जो नई स्कीम है, वो ज्यादा ओपीएस जैसी ही है. इसके अंदर लाभ निश्चित कर दिया गया है. इंफ्लेशन इंडेक्सेशन कर दिया गया है. कर्मचारी डीए और बेसिक पेंशन पर साथ-साथ यह भी कह दिया गया है कि ग्रेच्युटी के अलावा के अलावा छह महीने की नौकरी के बाद अब एक लमसम कंट्रीब्यूशन के हकदार हो जाएंगे और पेंशन के टाइम वो दिया जाएगा. इसके अलावा कर्मचारियों के पास ऑप्शन है कि अगर उन्हें एनपीएस अच्छी लगती है, तो वहां रह सकता है. जरूरी नहीं है कि वह यूपीएस पर ही आए. ये जो फ्लेक्सिबिलिटी दी गई है, वो अच्छी बात है. केंद्रीय कर्मचारियों की मांग को सरकार ने पूरा किया है, अब वे दिल लगाकर काम करेंगे. वहीं, राजनीतिक पार्टी, जो इसका फायदा उठा रही थी, उनके पास अब एक मुद्दा कम हो जाएगा. सरकार ने सोच-समझकर एक कमिटी बनाकर, अपने ऊपर ज्यादा बोझ नहीं लिया है."
UPS या NPS चुनने का विकल्प नए कर्मचारियों के पास होगा?
क्या नए कर्मचारियों के पास भी यूपीएस और एनपीएस में से चुनाव करने का ऑप्शन होगा? अजय दुआ बताते हैं, "ये विकल्प नए कर्मचारियों के पास भी होगा. जिस किसी की भी 1 अप्रैल 2024 के बाद भर्ती हुई है, उसके पास ऑप्शन है कि हिसाब लगाकर एनपीएस या यूपीएस में जा सकता है. अब तक तो यही नियम है और मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बदलाव होगा. पहले भी जिनको ओपीएस दिया गया था, उनके पास भी ऑप्शन रहता था."
सरकार ने अतिरिक्त बोझ अपने ऊपर लिया
सरकार ने अपना योगदान यूपीएस में बढ़ाया है, कर्मचारी के रिस्क फैक्टर को कम किया गया है. इससे बाजार पर जो निर्भरता थी, वो कुछ हद तक कम हुई है यहां पर. इस पर पूर्व सचिव ने कहा, "पहले इंप्लॉय का कंट्रीब्यूशन 10 परसेंट था, वो अभी भी रहेगा. सरकार की हिस्सेदारी थी 14 प्रतिशत, जिसे साढ़े 18 परसेंट तक ले जाने का प्रावधान किया जा रहा है. इससे कर्मचारियों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ने वाला है. सरकार ने 6250 करोड़ का बोझा अपने ऊपर लिया है."
UPS या NPS क्या है बेहतर विकल्प
कर्मचारियों के लिए मौजूदा समय में क्या बेहतर विकल्प होगा, यूपीएस या एनपीएस? अजय दुआ ने बताया, "अभी देखने से तो लगता है कि यूपीएस अच्छा विकल्प रहेगा. इसकी वजह यह है कि सरकारी कर्मचारी निश्चितता चाहते थे और पिछले 15-20 सालों से उनकी ये मांग थी. इस स्कीम में 50 परसेंट 25 साल की नौकरी पर, 60 प्रतिशत फैमिली पेंशन, इंडेक्सेशन बेनिफिट, इंडेक्टस इंफ्लेशन बेनिफिट और एक लमसम बेनिफिट भी और इसके साथ ऑपशन भी... एनपीएस में थोड़ा रिस्क फैक्टर ज्यादा होता है, जिसे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी अपनाना पसंद करते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि ज्यादातर सरकारी कर्मचारी अब यूपीएस की तरफ जाएंगे."
10 साल नहीं... तो भूल जाओ पेंशन
क्या काम के वर्षों का भी पेंशन पर असर पड़ेगा? अजय दुआ ने बताया, "देखिए, स्कीम का लाभ उठाने के लिए 10 साल की जॉब लाजिमी है. 10 साल की जॉब के बाद ही पेंशन स्कीम का फायदा मिलेगा. अगर पहले नौकरी छोड़ने का इरादा है, तो एनपीएस भी नहीं है. पहले भी यह प्रावधान था और अब भी ये नियम है. लेकिन अगर कोई 10 साल नौकरी करेगा, तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन तो मिलेगी ही.
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