यूपी में लोकसभा का चुनाव ख़त्म होते ही सीएम योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठने लगे थे. सरकार बड़ा या फिर संगठन का विवाद शुरू हो गया. दिल्ली बनाम लखनऊ की चर्चा तेज हो गई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 29 सीटों का नुक़सान हुआ. अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. माहौल बनाया गया कि यूपी में बीजेपी के अच्छे दिन ख़त्म. सीएम योगी की कुर्सी पर ख़तरे वाला नैरेटिव चल पड़ा.
ठीक छह महीने बाद यूपी की राजनीति के सारे समीकरण बदल गए. उप चुनाव के नतीजों ने ब्रांड योगी को और मज़बूत कर दिया है. योगी आदित्यनाथ ने बंटेंगे तो कटेंगे के नारे के साथ एजेंडा सेट कर दिया. नतीजा सामने है. NDA ने विधानसभा की नौ में से सात सीटों पर जीत हासिल की है. पिछली बार इनमें से चार सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी. इस तरह बीजेपी को दो सीटों का फ़ायदा हुआ. उसने समाजवादी पार्टी से कुंदरकी और कटेहरी सीटें छीन ली. इन दोनों सीटों पर बीजेपी तीन दशकों से जीत नहीं पाई थी.
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बीजेपी की जीत के 4 बड़े कारण
- बीजेपी ने OBC उम्मीदवारों पर भरोसा किया.
- सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल
- योगी आदित्यनाथ का कुशल नेतृत्व
- हर सीट के लिए अलग रणनीति और टीम
ऐसे हुई तैयारी
लोकसभा चुनाव ख़त्म होते ही योगी आदित्यनाथ चुनावी तैयारी में जुट गए थे. उन्होंने तीस मंत्रियों का एक टास्क फ़ोर्स बना दिया था. हर सीट पर दो या तीन मंत्रियों की ड्यूटी लगाई. खुद लगातार बैठकें कर समीक्षा करते रहे. एक एक विधानसभा सीट पर दो या तीन बार प्रचार करने गए. यूपी बीजेपी कोर कमेटी की कई बार मीटिंग हुई. सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह इस कमेटी में हैं. सभी नेताओं ने दो दो विधानसभा सीटों की ज़िम्मेदारी ले ली. सीएम योगी खुद कटेहरी के प्रभारी बन गए.
ये रहा जीत का फॉर्मूला
चुनाव की तारीख़ों के एलान से पहले ही योगी आदित्यनाथ सभी विधानसभा सीटों का दौरा कर चुके थे. हर सीट के सामाजिक समीकरण के हिसाब से नेताओं की ड्यूटी लगाई गई. इलाक़े के हर प्रभावशाली नेता से सीएम योगी लगातार संपर्क में रहे. पार्टी में आपसी मतभेद के बावजूद हम साथ साथ हैं का मैसेज देने में सफल रहे. वोटर लिस्ट बनाने से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक पर उनकी नज़र बनी रही. जहॉं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ज़रूरत पड़ी वहाँ बंटेंगे तो कटेंगे के नारे को आगे कर दिया. कुंदरकी जैसी सीट पर क़ानून व्यवस्था पर फ़ोकस रखा.
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OBC पर भरोसा जताया
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के लिए टिकट में गड़बड़ी को वजह बताया गया. उप चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में इस बार इसका ध्यान रखा गया. सहयोगी दल निषाद पार्टी के लिए इस बार सीट न छोड़ने का फ़ैसला हुआ. पिछली बार मंझवा और कटेहरी की सीटें निषाद पार्टी के लिए छोड़ दी गई थीं. लेकिन सीएम योगी ने दोनों सीटें बीजेपी के लिए रखना ही बेहतर समझा. ये फ़ैसला सही साबित हुआ. कटेहरी में दलित के बाद सबसे अधिक ब्राह्मण वोटर हैं. पर वहाँ पार्टी ने OBC पर भरोसा जताया. बीजेपी ये सीट जीत गई॥
करहल को समाजवादी पार्टी और अखिलेश परिवार का गढ़ माना जाता है. बीजेपी यहाँ पर पूरी तैयारी से चुनाव लड़ी. इसीलिए समाजवादी पार्टी इस बार कम वोटों के अंतर से चुनाव जीत पाई. चुनाव प्रचार से लेकर मतदान तक योगी आदित्यनाथ लगातार मॉनिटरिंग करते रहे. उप चुनाव में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद सीएम योगी ने पार्टी के अंदर और बाहर वालों का मुँह बंद कर दिया है