बर्थडे पार्टी के बाद 'धर्मांतरण' के आरोप में गिरफ्तार मुस्लिम किशोर को नहीं मिली राहत

बिजनौर में अपने गांव में 18 साल के शाकिब की मां 50 साल की संजीदा अपने बेटे की जमानत का इंतजार कर रही हैं. जेल में बंद शाकिब की जमानत याचिका पर शु्क्रवार को सुनवाई होनी है.

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शाकिब के खिलाफ ऐसी कड़ी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है जिसमें जमानत में मुश्किल हो सकती है.
लखनऊ:

राजधानी लखनऊ से 430 KM  दूर पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के बिजनौर (Uttar Pradesh's Bijnor) का एक मुस्लिम किशोर (Muslim teen) पिछले माह की एक घटना के बाद जेल में 20 से अधिक दिन गुजार चुका है. यह किशोर और एक 16 वर्षीय हिंदु किशोरी एक फ्रेंड के बर्थडे पार्टी से घर लौट रहे थे, इसी दौरान इन पर हमला करके परेशान किया गया और बाद में पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया. मामला तब और बढ़ गया जब राज्‍य के विवादित नए धर्मांतरण रोधी कानून के अंतर्गत इस क‍िशोर पर केस दर्ज किया गया.

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बिजनौर में अपने गांव में 18 साल के शाकिब की मां 50 साल की संजीदा अपने बेटे की जमानत का इंतजार कर रही हैं. जेल में बंद शाकिब की जमानत याचिका पर शु्क्रवार को सुनवाई होनी है. विधवा संजीदा की कोई तय आमदनी नहीं है, रुंधे गले से वे बताती हैं कि मामले में वकील के लिए वे बड़ी मुश्किल से धनराशि का इंतजाम कर पाई हैं. संजीदा ने NDTV से कहा, 'मैं बहुत परेशान हूं जब मेरे शौहर जिंदा थे तब उनके इलाज के लिए मैंने लाखों रुपये उधार लिए थे. दो साल पहले उनका इंतकाल हो गया, इस केस को लड़ने के लिए कोई मुझे उधार देना नहीं चाहता.' शाकिब को 15 दिसंबर को अरेस्‍ट किया गया था और 16 साल की हिंदू किशोरी के कथित तौर पर जबरन धर्मांतरण की कोशिश के लिए जेल भेज दिया गया. जेल भेजे जाते समय भी किशोरी और उसकी मां ने इन आरोपों से इनकार किया था. बिजनौर पुलिस, जिसने जोर देकर कहा था कि किशोरी के पिता की शिकायत पर मुस्लिम किशोर को गिरफ्तार किया गया था, ने और आगे बढ़ते हुए कानून की ऐसी कड़ी धाराओं के तहत मामले में चार्जशीट दाखिल कर ही दी जिसमें जमानत मिलने में मुश्किल हो सकती है.

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बिजनौर के पुलिस प्रमुख डॉ. धमवीर सिंह ने कहा, 'हमने 15 दिसंबर को केस फाइल किया था और एक पुलिस अफसर इसकी तफ्तीश कर रहा था. सबूतों, मेडिकल परीक्षण और लड़की के मजिस्‍ट्रेट के समक्ष बयान के आधार पर हमने IPC, POCSO Act, SC/ST कानून और धर्मातरण कानून के अंतर्गत चार्जशीट दाखिल की है.' उधर, शाकिब के घर से दो किमी से भी कम दूरी पर स्थित हिंदू किशोरी के गांव में उसके पिता ने NDTV के साथ संक्षिप्‍त बातचीत में कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का का मामला है. यह पूछे जाने पर कि किशोरी और उसकी मां ने रिकॉर्ड पर कहा था कि मामले में धर्मांतरण का एंगल नहीं है, पिता ने कहा, 'नहीं, वे यह नहीं कह सकते, आप उनसे फिर से बात कर सकते हैं.' लेकिन किशोरी और उसकी मां घर पर मौजूद नहीं थी और पिता और अन्‍य ग्रामीण उनके ठिकाने (location) के बारे में बताने को तैयार नहीं है. दो सप्‍ताह पहले  NDTV से बातचीत में इन दोनों ने पुलिस के दावे का खंडन किया था. उस समय किशोरी ने बताया था, 'रात करीब 11.30 बजे कुछ लोगों ने हमें पकड़ लिया, गांव वालों ने हमें पीटा, उन्‍होंने हम पर चोरी का आरोप लगाया. उन्‍होंने एक लड़के को भी पकड़ा, मैं नहीं जानती कि वह कौन है. मैं नहीं जानती कि वह लड़का कौन है. यह सही नहीं है कि वह मेरे धर्मांतरण की कोशिश कर रहा था.' किशोर और किशोरी, दोनों के गांवों में ज्‍यादा लोग इस मामले में कैमरे पर बात करना नहीं चाहते, सिवाय किशोरी के गांव के प्रधान विनोद सैनी के जिन्‍होंने दावा किया कि पुलिस ने धर्मांतरण के आरोपों की 'कहानी गढ़ी' है.

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सैनी ने NDTV से चर्चा में कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह 'लव जिहाद' का मामला है. मैं पहले भी यह कह चुका हूं. दोनों स्‍टूडेंट हैं और एक-दूसरे से मिला करते हैं..' दूसरी ओर, जिला पुलिस प्रमुख इस दावे को बकवास बताते हैं. उन्‍होंने कहा, 'यह पूरी तरह गलत है. हमने बयानों, मेडिकल एक्‍जामिनेशन और कोर्ट में बयान के बाद ही चार्जशीट फाइल की है. आज भी किशोरी के पिता और परिजन अपने बनाय पर कायम हैं. कुछ लोग बयान बदलने के लिए परिवार को 'लालच देने' की कोशिश कर रहे हैं. हम ऐसे लोगों पर नजर बनाए हुए हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. हम प्रधान या राजनेता के बयान के आधार पर काम नहीं करते. सबूतों और कोर्ट में बयानों के आधार पर कार्रवाई की गई है.' 

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