अपने क्षेत्र में सड़कों के निर्माण कार्य न कराये जाने से खफा होकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अनशन कर रहे अमेठी जिले के गौरीगंज क्षेत्र के समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक राकेश प्रताप सिंह को पुलिस ने खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में भर्ती करा दिया है. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ( Ram Govind Chaudhary) ने अनशनरत विधायक राकेश प्रताप सिंह का समर्थन करते हुए सरकार को सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन की चेतावनी दी है. चौधरी ने सरकार पर अनशन के दौरान विधायक के साथ अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार को हठधर्मिता छोड़ तत्काल उनकी मांगों को स्वीकार कर लेना चाहिए, अन्यथा समाजवादी पार्टी इस प्रकरण पर सरकार के खिलाफ सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन छेड़ेगी.
गौरतलब है कि अमेठी के गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के विधायक सिंह ने 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और हजरतगंज (अटल चौक) में गांधी प्रतिमा के पास अनशन पर बैठ गये थे. चौधरी के अनुसार गांधी प्रतिमा पर अनशन पर बैठे सिंह को जबरन एंबुलेंस में बिठाकर अस्पताल भेजा गया. हालांकि लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने शनिवार को ''पीटीआई-भाषा'' को बताया कि खराब स्वास्थ्य की वजह से विधायक को अस्पताल भेजा गया है. ठाकुर ने कहा कि चिकित्सक ने विधायक को अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी, इसके बाद उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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चौधरी ने शनिवार को बलिया में एक विज्ञप्ति जारी कर योगी सरकार के विकास के दावे पर तंज कसा है. उन्होंने योगी सरकार में विकास की रफ्तार शून्य होने का आरोप लगाया और कहा कि यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि सपा विधायक अपने क्षेत्र की दो सड़को के निर्माण हेतु लगातार सदन में आवाज उठा रहे थे, फिर भी उनकी मांगों को सरकार लगातार अनसुनी कर दे रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मांग पूरी न होने पर विधायक ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर अनशन शुरू किया और विधायक का यह कृत्य योगी सरकार को नागवार लगा तो पुलिस के बल पर उनको जबरदस्ती हिरासत मे लेकर चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जो यह अत्यंत अमानवीय व्यवहार है.
उल्लेखनीय है कि सिंह ने 31 अक्टूबर को को बताया था, ‘आज मैंने विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंचकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया.' उन्होंने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा था, ‘हमने कुछ मांगें उठाई थी और सरकार ने पूरा करने का सदन में आश्वासन दिया था लेकिन पूरा नहीं किया. सरकार झूठ बोलती है इसलिए सदन में बैठने का कोई औचित्य नहीं है. अधिकारीगण लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने में लगे हैं, चुनी हुई सरकारों का निर्देश नहीं मानते हैं.
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