उत्तर प्रदेश के गांवों में कोरोना का कहर जारी है. जौनपुर के एक गांव में तो एक महीने में 31 लोगों की मौत हो गई. जांच न होने की वजह से कोरोना से मौत की पुष्टि नहीं हो पाती है. लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों पर और यहां की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने यूपी सरकार से एक महीने के अंदर हर गांव में दो ICU एम्बुलेंस तैनात करने को कहा है. हाईकोर्ट ने यूपी के पांच जिले बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती की स्वास्थ्य सुविधाओं पर रिपोर्ट तलब की थी. एनडीटीवी ने जौनपुर और बिजनौर की स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल की तो यहां से निराशा हाथ लगी है.
बिजनौर जिला अस्पताल में कोविड मारीजों की भरमार है. यहां मरीज और तीमारदार दोनों परेशान हैं. तीमारदार कहते हैं की स्टाफ काम नहीं करता. अपनी मां का इलाज करा रहे रोहित कुमार ने बताया कि उनकी मां अस्पाताल में ही सरकारी नौकरी पर सेवा में हैं. उन्हें भी ढंग से इलाज नहीं मिल पा रहा है. इंजेक्शन की जरूरत पड़ी तो कोई स्टॉफ आने को तैयार नहीं हुआ. ऑक्सीजन सिलेंडर भी बदलने कोई नहीं आ रहा है.
वहीं, अस्पताल के स्टॉफ का कहना है कि मरिजों की संख्या के हिसाब से यहां स्टॉफ बहुत कम है. इतने कम स्टॉफ में इलाज कर पाना मुमकिन नहीं हैं. स्वास्थ्यकर्मी सूर्यपाल सिंह ने कहा कि तीन वार्ड में स्टॉफ अलग-अलग होना चाहिए. अब दो स्टॉफ है. तीन वार्ड देखने हैं. दिक्कत तो होगी ही. एक-एक वार्ड में कम से कम 30-30 मरीज हैं. किसी में 30 हैं, किसी में 22 हैं किसी में 28 हैं.
बिजनौर में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल
बिजनौर शहर की आबादी 925312 है. यहां लेवल 3 का एक भी अस्पातल नहीं है. 3 सरकारी अस्पातलों में सिर्फ 150 बिस्तर हैं. यहां सिर्फ 5 बीआईपीएपी और 2 नाक प्रवेशनी (Nasal Cannula) है. वहीं, ग्रामीण बिजनौर की आबादी करीब 32 लाख है. यहां 10 सीएचसी है यानी 3 लाख के लिए 1 सीएचसी. तीन लाख की आबादी पर यहां सिर्फ 30 बिस्तर हैं. 300 बेड के लिए 17 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर हैं. एक भी बीआईपीएपी, नाक प्रवेशनी (Nasal Cannula) नहीं हैं. 300 बेड पर सिर्फ 250 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं.
जौनपुर में कोरोना का कहर
जौनपुर के पिलकिच्छा गांव में एक महीने में 31 लोगों की मौत हुई है. ज्यादातर को कोरोना के लक्षण थे, लेकिन टेस्ट नहीं हुआ. भवानी प्रसाद शर्मा के घर तीन लोगों की मौत हुई. पहले भाई प्रेम सागर शर्मा, बहू रागिनी शर्मा और फिर पत्नी गीता शर्मा का निधन हो गया. भवानी प्रसाद शर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल तो सारे बंद चल रहे हैं. हार्ट के डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की. सारा अस्पताल बंद. प्राइवेट डॉक्टर भी देखने से इनकर कर रहे थे.
गांव के श्मशान में शवों की भीड़
पूरे पिलकिच्छा गांव में मौतों से दहशत है. गांव के श्मशान का भी बुरा हाल है यहां, दूसरे इलाके के लोग भी बड़ी तादाद में अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं. शिक्षिका रेणु यादव ने भी कोरोना के चलते अपनी जान गंवा दी. उनकी ड्यूटी पंचायत चुनाव में लगी थी. कोरोना के लक्षण आए और कुछ दिन की बीमारी के बाद उनका निधन हो गया. रेणु के पति राम प्रसाद यादव ने कहा कि रेणु ने 12 तारीख को ट्रेनिंग की थी. उसके बाद कहीं नहीं गई, घर पर ही थी. स्कूल जाती थी, फिर स्कूल से वापस घर. बुखार हुआ था और दर्द हो रहा था पूरे शरीर में. सिटी स्कैन कराया गया, बाद में दूसरे दिन सांस की समस्या होने लगी थी.
टेस्टिंग और कोविड के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्त्रियों की
इलाके के खुथन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर बताते हैं की इस बारे में एसडीएम ने मीटिंग की थी. गांव में लोगों की टेस्टिंग करने और उनमें जागरुकता फैलाने के लिए आशा कार्यकर्त्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. डॉ राजेश कुमार रावत ने कहा कि सभी आशा संगिनियों को क्षेत्र में कोरोना के लक्षण सर्दी, ज़ुकाम, बुखार, सांस फूलने की समस्या के बारे में लोगों के बीच जारुकता फैलाने के लिए कहा गया है. साथ ही दवा देना और जांच करने के लिए भी कहा गया है. जिससे गंभीर मरीजों की पहचान हो सके और उन्हें जल्द से जल्द इलाज दिया जा सके.