- उत्तर प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 13 दिसंबर से शुरू होकर 14 दिसंबर को समाप्त होगी
- लखनऊ में 400 से अधिक प्रांतीय सदस्य नामांकन और मतदान के लिए पार्टी मुख्यालय में जुटेंगे
- चुनाव की संभावना कम है, क्योंकि केवल एक ही नामांकन होने की उम्मीद है, जिससे चुनाव टालने की संभावना है
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर संगठन में गहमागहमी बढ़ गई है. तीन दिन चलने वाली इस चुनावी प्रक्रिया का अंतिम परिणाम 14 दिसंबर को सामने आएगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए 400 से अधिक प्रांतीय सदस्य लखनऊ पहुंच रहे हैं, जो औपचारिक रूप से मतदान करने वाले प्रतिनिधि हैं. हालांकि, गुंजाइश यही है कि चुनाव की नौबत नहीं आएगी और नामांकन ही एक व्यक्ति द्वारा किया जाएगा और फिर उनके नाम की घोषणा कर दी जाएगी.
कब होगा नाम का ऐलान
भाजपा के लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय से जारी पत्र के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया 13 दिसंबर से आरंभ होगी. निर्वाचन अधिकारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया कि 13 दिसंबर को राज्य मुख्यालय में नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे. इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े की मौजूदगी में नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उन्होंने बताया कि केंद्रीय चुनाव अधिकारी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल 14 दिसंबर को निर्वाचन प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे. अगर एक से अधिक नामांकन प्राप्त होते हैं तो उसी दिन मतदान कराया जाएगा. हालांकि, पार्टी सूत्रों का दावा है कि परिस्थितियां एक ही नामांकन की ओर इशारा कर रही हैं, इसलिए चुनाव की आवश्यकता पड़ने की संभावना कम है. ऐसे में 14 दिसंबर को नए अध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी.
किसके नाम की है चर्चा
पार्टी नेतृत्व ने गुरुवार को प्रमुख पदाधिकारियों, सांसदों, विधायकों और योगी सरकार के मंत्रियों को लखनऊ तलब किया है, जिससे माना जा रहा है कि संगठनात्मक स्तर पर एक व्यापक चर्चा भी होगी. भाजपा संविधान के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव प्रांतीय सदस्य करते हैं. आमतौर पर एक ही नाम सर्वसम्मति से तय होने के कारण प्रक्रिया औपचारिक बनकर रह जाती है, लेकिन अगर किसी कारण एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो चुनाव कराए जाते हैं. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि विपक्ष की पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) रणनीति की काट के रूप में भाजपा किसी ओबीसी वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर जोर दे सकती है. पार्टी नेतृत्व इस फैसले को 2027 के विधानसभा चुनावों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मान रहा है. अभी इस दौड़ में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) का नाम सबसे आगे है. सूत्रों की माने तो पंकज चौधरी को कमान सौंपे जाने का फैसला हो चुका है.














