यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने लखनऊ में सत्तारूढ़ भाजपा का दामन थाम लिया है. रायबरेली कांग्रेस का गढ़ है, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां से लोकसभा सांसद हैं. यहां 1980 के बाद से ज्यादातर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है (1996 और 1998 अपवाद थे, जब भाजपा के अशोक सिंह चुने गए थे).
अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह रायबरेली सीट से पांच बार विधायक चुने गए थे. अखिलेश सिंह गांधी परिवार के बहुत करीबी थे. जब भी प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली आती थीं तो अदिति के साथ उनकी तस्वीरें जरूर सामने आती थी.
कांग्रेस और अदिति सिंह का नाता 2019 से ही खराब चल रहा है. तब अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, लेकिन औपचारिक रूप से उन्होंने कांग्रेस से अभी तक संबंध नहीं तोड़ा था. कांग्रेस ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष से अदिति सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दायर की थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अदिति सिंह का भाजपा शामिल होना राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में कुछ ही महीनों में चुनाव होने हैं. यूपी में भाजपा किसानों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के विरोध के बीच फिर से चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है.
कांग्रेस और उसके नेतृत्व की लगातार मुखर आलोचक अदिति सिंह ने पिछले हफ्ते वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को विवादास्पद कृषि कानूनों पर सवाल उठाने के लिए घेरा था.
अदिति सिंह ने एएनआई से कहा था, "जब बिल लाए गए तो प्रियंका गांधी को समस्या थी. जब कानूनों को निरस्त कर दिया गया तो उन्हें समस्या है. वह क्या चाहती है? उन्हें स्पष्ट रूप से कहना चाहिए. वह केवल इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है. अब उनके पास राजनीति करने के लिए मुद्दा नहीं है."
उन्होंने कहा जहां तक लखीमपुर (जहां किसानों को कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा चलाए गए काफिले ने कुचल दिया) और अन्य मुद्दों का सवाल है, प्रियंका गांधी ने हमेशा इसका राजनीतिकरण किया है. लखीमपुर घटना में सीबीआई जांच चल रही है. सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है. अगर वह संस्थानों पर भरोसा नहीं करती हैं, तो मैं नहीं समझ सकती कि वह किस पर भरोसा करती है?"
सत्ताधारी पार्टी को उम्मीद होगी कि अदिति सिंह को शामिल करने से कांग्रेस का गढ़ पलटने में मदद मिलेगी. जो कि एक बेहद महत्वपूर्ण परिणाम होगा, अगर ऐसा होता है.