सबसे बड़े दानवीर रतन टाटा! दान में आगे और अमीरों की लिस्ट में नीचे रहे, जानिए कोरोना काल में कैसे की थी मदद

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, "हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं. वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है.

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नई दिल्ली:

पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे. उन्हें सोमवार को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे. उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली. उसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये थे.

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उदारीकरण के दौर में समूह को उसके हिसाब से ढाला.

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन पर लिखा है कि हम इस घटना से बेहद दुखी हैं. वो एक असाधारण लीडर थे.  उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई उंचाईयों को छूआ.  वैश्विक स्तर तक उन्होंने कंपनी को पहुंचाया. कार्य के दौरान उन्होंने नैतिकता को सबसे अहम बनाकर रखा.  परोपकार और समाज के विकास के प्रति रतन टाटा के समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया. 

“टाटा समूह के लिए रतन टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे. मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे. उन्होंने उदाहरण पेश कर प्रेरित किया. उत्कृष्टता, अखंडता और नवीनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया. वह हमेशा अपने नैतिक दायरे के प्रति सच्चे रहे.

यूं तो टाटा कंपनी ने इस राष्ट्र के निर्माण में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, मगर कोरोना काल में रतन टाटा का योगदान सबसे अधिक चर्चा में आया. जिस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था, उस समय भारत भी हेल्थ संकटों से लड़ रहा था. इस संकट के समय में  रतन टाटा सामने आए और उन्होंने 500 करोड़ रुपये की देश को सहायता दी. 

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने 2020 में छपे एक आर्टिकल में कहा था, हमारी पीढ़ी के लिए, अभी-अभी कोविड-19 महामारी के कारण अनुभव की गई छह महीने की अवधि की तुलना में कुछ भी नहीं है. यात्रा, बैठकें, कार्यालय, स्कूल और सामाजिक मेलजोल सब इसके शिकार हो गए हैं. रातों-रात, हमें फिर से कल्पना करनी पड़ी कि हम कैसे काम करेंगे.

1500 करोड़ रुपये का योगदान

उन्होंने लिखा, रतन एन टाटा के नेतृत्व में, हमने एक समूह के रूप में कोविड-19 राहत के लिए 1500 करोड़ रुपये का योगदान दिया. इसके अलावा, टाटा कर्मचारियों ने विभिन्न प्रतिक्रिया परियोजनाओं के लिए करोड़ों रुपये का योगदान दिया है.

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हमारा सिद्धांत सहयोग करना

टाटा' की मानसिकता है सहयोग करना और कोविड के दौरान टाटा ने इसे साबित भी किया है. जिस तरह से टाटा कंपनी ने देश की सेवा की है, उसे याद कर लोग आज भी सिहर जाते हैं.

कोविड-19 के दौरान PPE किट उपलब्ध करवाना.

भारत में एक महत्वपूर्ण कोविड-19 प्रकोप के परिणामस्वरूप जल्द ही वेंटिलेटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, मास्क और दस्ताने, साथ ही कोविड-19 परीक्षण किट की भारी कमी हो गई थी. बढ़ती वैश्विक मांग के बीच, टाटा कंपनी ने चीन व अन्य देशों से हेल्थ इक्विपमेंट्स ऑर्ड किए थे. जिनमें दस्ताने, वेंटिलेटर व अन्य महत्वपूर्ण सामान थे.

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टाटा स्टील, टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की खरीद विशेषज्ञता के आधार पर, टाटा कंपनी ने चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और घरेलू स्रोतों से बड़ी मात्रा में चिकित्सा आपूर्ति खरीदने की योजना बनाई.

कोविड के समय, टाटा ने एक हजार से अधिक वेंटिलेटर और रेस्पिरेटर, 400,000 पीपीई किट, 3.5 मिलियन मास्क और दस्ताने और 350,000 परीक्षण किट खरीदे थे.

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कोविड 19 के दौरान होने वाली टेस्टिंग के लिए टाटा कंपनी ने पूरे प्रोसेेस पर रिसर्च किया. इस दौरान देश भर के महत्वपूर्ण लोगों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट बनाया और एक सरल प्रक्रिया बनाई.

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