2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य : NDTV के इंडिया सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव में प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अगर हमे विकसित बनना है तो हमे प्रकृति के संतुलन को बिगाड़े बगैर तरक्की करने पर ध्यान केंद्रीत करना होगा. हमारी सरकार का फोकस सस्टेनेबल एनर्जी के इस्तेमाल पर है.

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एनडीटीवी के सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने पर दिया जोर

नई दिल्ली:

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि हमारी सरकार प्रकृति से छेड़छाड़ किए बगैर सस्टेनेबिलिटी एनर्जी को भविष्य के लिए तैयार करने पर जोर दे रही है. हमारा लक्ष्य लोगों को सस्टेनेबल एनर्जी के प्रति लोगों को और ज्यादा जागरूर बनाना भी है.  प्रह्लाद जोशी ने ये बातें NDTV के इंडिया सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव में कही. उन्होंने आगे कहा कि हम लोगों को जितना जागरूक करेंगे हमें उतना ही फायदा होगा. भारत की संस्कृति में ही हमें सस्टेनेबिलिटी का मंत्र मिला हुआ है. हम भारतीय, नेचर के बेहद करीब होते हैं. इसका उदाहरण ये है कि हमारा समाज में पहले से ही सस्टेनेबिलिटी एनर्जी के प्रति ज्यादा जागरूक रहते हैं. हमारी संस्कृति में पहले ही सूर्य की एक अलग से जगह है.

 प्रह्लाद जोशी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि हमारे दिन की शुरुआत भी सूर्य नमस्कार से होती है. हमें ये पहले से ही पता था कि सूर्य में अलग एनर्जी है. हमने अब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सूर्य और वायु से मिलने वाली एनर्जी को एक पक्की व्यवस्था में ढाल कर आगे बढ़ने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हम हरित ऊर्जा 

"धरती को बचाए बगैर आगे नहीं बढ़ा जा सकता"

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन को हासिल करना है. पूरी तरह से विकसित बनने के लिए हमें पूरी तरह से सस्टेनेबल बनना ही होगा. हमारे पास पैसा है पावर है, इसलिए हमें अब अपनी सोच में बदलाव लाना है. बैगर पृथ्वी को बचाए हम आगे बढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं. गांधी जी एक किसी भी मूवमेंट को मास मूवमेंट में बदल देते थे. ये उनकी उपलब्धि थी. हमें भी ऐसा करना होगा. हम भी इस मूवमेंट को मास मूवमेंट में बदलकर रहेंगे. 

"समावेशी विकास भी जरूरी है"

हमे एनर्जी सिक्युरिटी भी देना है और आगे भी बढ़ना है. भारत में सृष्टि को देवता माना गया है. हम नेचर के सबसे ज्यादा करीब हैं.हमारे पूर्वजों ने प्रकृति का बहुत सम्मान किया है. आज भी हम गंगा को गंगा मां कहकर बुलाते हैं. भारत में ये वैल्यूज अभी भी बचे हैं. हमारा मकसद नेचर के साथ मिलकर एनर्जी को सस्टेनेबल बनाना है. पूरी तरह से विकसित होने के लिए समावेशी विकास जरूरी है. पृथ्वी ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो क्या बचेगा.हम बहुत पहले से पर्यावरण से जुड़े हैं.हमें पहले से पता था सूर्य में एनर्जी है.हम बायोफ्यूल का इस्तेमाल कर आगे बढ़ रहे हैं.हमें अपनी सोच में बदलाव लाना है. एनर्जी सिक्योरिटी के साथ हमें शिफ्ट होना होगा.

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