भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुभवों को एक किताब में समेटा है. किताब दो भाषाओं में रूपा पब्लिकेशन ने छापी है. हिंदी में किताब का नाम है "उर्वरक आत्मनिर्भरता की राह" और अंग्रेज़ी में इसका नाम " फर्टिलाइजिंग द फ्यूचर" है. इस किताब का विमोचन बुधवार को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने किया.
अमेज़न पर मौजूद इस किताब में डॉक्टर मनसुख मांडविया ने इस मंत्रालय के अपने 8 सालों का अनुभव समेटा है. करीब 6 महीने के वक्त में लिखी गई इस किताब में नए फर्टिलाइजर प्लांट्स की कहानी के साथ साथ किस तरह से फर्टिलाइजर में भारत धीरे धीरे आत्म निर्भरता हासिल कर रहा है उसकी कहानी है. आयत की निर्भरता कैसे और किन किन आयामों और पहल के ज़रिए कम की गई है उसको विस्तार से बताया है.
यही नहीं, कालाबाजारी पर किन किन हस्तक्षेपों से रोक लगाने में मदद मिली और किस तरह से निगरानी बढ़ाई गई उसकी दिलचस्प कहानी का ज़िक्र भी है. इतना ही नहीं, नैनो यूरिया की मंजूरी में शुरुआती दौर में आई बाधा को किस तरह से दूर किया गया इन तमाम जानकारियां को समेटने की कोशिश की गई है.
मसलन मार्केट इंटरवेंशन की ज़रूरत हो या फिर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए इनोवेशन की. किताब में चैप्टर के तौर पर इन तमाम चीजों की पूरी कहानी बारीकी से डॉक्टर मांडविया ने गढ़ी है. किसानों के लिए बनाई जा रही योजना किसान के लिए किस तरह से लाभकारी होगी इसको लेकर किसान समृद्ध केंद्र किस तरह से अस्तित्व में आया ये भी आप इस किताब में जान पाएंगे.
डॉक्टर मनसुख मांडविया अब कोरोना के दौर की कहानी को भी किताब की शक्ल देने में जुटे हैं. जिसमें उनके अनुभवों के अलावा यह भी बताया है कि किस तरह से तमाम मंत्रालय जुटा रहा और महामारी के दौर में भारत लड़ने में मुकम्मल कैसे बना और दूसरे देशों की किस तरह मदद की. डॉक्टर मनसुख मांडविया ने बताया की कोरोना पर उनकी किताब अगले दो महीनों में आ जाएगी.