प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 2022-23 से 2025-26 की अवधि के लिए 8,800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना 'कौशल भारत कार्यक्रम (एसआईपी)' को 2026 तक जारी रखने और पुनर्गठन को मंजूरी दे दी. यह मंजूरी देश भर में कुशल, मांग पर आधारित और तकनीकी रूप से सक्षम, उद्योगों के लिहाज से भविष्य के लिए तैयार वर्कफोर्स बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को बताती है.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0), प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस), और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना अब "कौशल भारत कार्यक्रम" की समग्र केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत संयुक्त हो गए हैं. इन पहलों का उद्देश्य संरचित कौशल विकास, नौकरी पर प्रशिक्षण और समुदाय-आधारित शिक्षा प्रदान करना है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों सहित शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी को उच्च गुणवत्ता वाली व्यावसायिक शिक्षा तक पहुंच प्राप्त हो. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की तीन प्रमुख योजनाओं के तहत, अब तक 2.27 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और मूल्यांकन को मजबूत करने के लिए, एक लाख मूल्यांकनकर्ताओं और प्रशिक्षकों का एक राष्ट्रीय पूल विकसित किया जा रहा है, जो प्रशिक्षण केंद्रों में मानकीकरण और विशेषज्ञता सुनिश्चित करता है. उद्योग भागीदारी रिक्रूट ट्रेन डिप्लॉय (आरटीडी) प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार के अवसरों तक पहुंच सुनिश्चित करती है. इस योजना से भारत को वर्ल्ड क्लास वर्क फोर्स बनाने में मदद मिल रही है. कई कंपनियां प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में प्रशिक्षण पाए लोगों को ही अपने यहां नौकरियां दे रही हैं.