केंद्रीय बजट : एसबीआई रिपोर्ट ने कहा, भारतीय उद्योग जगत को सरकार की गति और मंशा से मेल खाना चाहिए

एसबीआई की रिपोर्ट ने टैक्स सुधारों पर जोर देते हुए कहा है कि टैक्स प्रणाली को और प्रगतिशील बनाकर सरकार टैक्स अनुपालन बढ़ा सकती है और लोगों की आय बढ़ाकर खपत को बढ़ावा दे सकती है. अगर सभी करदाताओं को नए टैक्स सिस्टम में लाया जाए, तो सरकार को थोड़े नुकसान के बदले ज्यादा लाभ होगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

भारतीय उद्योग जगत को अगले 50 सालों की योजनाएं बनाने में केंद्र सरकार की गति और मंशा से मेल खाना चाहिए. सरकार ने भौतिक, तकनीकी और सामाजिक क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, जिससे हर आय वर्ग के लोगों को लाभ मिल रहा है. यह सुझाव एसबीआई की रिपोर्ट ने केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले दिया है. 

एसबीआई रिसर्च ने अपने नोट में कहा कि महामारी के बाद कंपनियों की अच्छी मुनाफाखोरी और वित्तीय संसाधनों की आसान उपलब्धता (मजबूत बैंकिंग सिस्टम और पूंजी बाजार की मदद से) भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मददगार साबित होगी.

एसबीआई की रिपोर्ट ने टैक्स सुधारों पर जोर देते हुए कहा है कि टैक्स प्रणाली को और प्रगतिशील बनाकर सरकार टैक्स अनुपालन बढ़ा सकती है और लोगों की आय बढ़ाकर खपत को बढ़ावा दे सकती है. अगर सभी करदाताओं को नए टैक्स सिस्टम में लाया जाए, तो सरकार को थोड़े नुकसान के बदले ज्यादा लाभ होगा.

वित्तीय अनुशासन बनाए रखना सरकार के लिए जरूरी है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी के मुकाबले राजकोषीय घाटा 4.5% (15.9 लाख करोड़ रुपये) रहने का अनुमान है.

स्मार्ट तरीके से कर्ज और भुगतान प्रबंधन करके सरकार 14.4 लाख करोड़ का सकल बाजार कर्ज ले सकती है, जिसमें से 11.2 लाख करोड़ का शुद्ध कर्ज होगा. सरकार कोविड-19 महामारी के दौरान लिए गए कर्जों को वापस चुकाने वाली है.

2023-24 में कुल टैक्स राजस्व में प्रत्यक्ष करों का योगदान 58% तक पहुंच गया, जो पिछले 14 सालों में सबसे ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2011 के बाद से 5 वर्षों में व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) संग्रह (7 प्रतिशत) कॉरपोरेट कर संग्रह (4 प्रतिशत) से अधिक बढ़ रहा है.

Advertisement

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई राज्यों ने महिलाओं के लिए योजनाएं शुरू की हैं, जिनके जरिए सीधी नकद सहायता दी जा रही है. हालांकि, इनमें से कुछ योजनाएं केवल चुनावी फायदे के लिए बनाई गई लगती हैं और इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो सकती है.

आगे चलकर राज्यों के बीच ऐसी योजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे केंद्र भी इस दिशा में कदम उठा सकता है. रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि बाजार को परेशान करने वाली कई सब्सिडी को काफी हद तक कम करने की दिशा में एक सार्वभौमिक आय हस्तांतरण योजना (केंद्र से राज्यों को अनुदान) को अपनाना उचित होगा.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Delhi Crime News | सनकी आशिक का खूनी खेल, पहले लड़की पर किये चाकू से कई वार, फिर अपना भी गला काटा
Topics mentioned in this article