जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर रोके जाने के बाद मज़ार-ए-शुहादा की चारदीवारी फांदकर फतिहा पढ़ी. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मज़ार-ए-शुहादा आने से पहले उन्होंने किसी को सूचित नहीं किया था, क्योंकि उन्हें कल, 13 जुलाई, शहीद दिवस पर, नज़रबंद कर दिया गया था.
हमें क्यों रोका गया...
उमर अब्दुल्ला ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग कानून-व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी बताते हैं, उनके आदेश पर हमें फ़ातिहा पढ़ने की इजाज़त नहीं दी गई. सुबह से ही सभी को नज़रबंद कर दिया गया, जब मैंने कंट्रोल रूम को बताया कि मैं यहां फ़ातिहा पढ़ने आना चाहता हूं, तो कुछ ही मिनटों में मेरे घर के बाहर बंकर लगा दिए गए और वे रात के 12-1 बजे तक वहां रहे. आज मैं बिना किसी को बताए यहां आया था. आज भी उन्होंने हमें रोकने की कोशिश की.
हम किसी के गुलाम नहीं
सीएम ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि किस क़ानून के तहत मुझे रोका गया... वे कहते हैं कि यह एक आज़ाद देश है, लेकिन वे सोचते हैं कि हम उनके गुलाम हैं. हम किसी के गुलाम नहीं हैं. हम सिर्फ़ यहां के लोगों के गुलाम हैं... हमने उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया... उन्होंने हमारा झंडा फाड़ने की कोशिश की. लेकिन हम यहां आए और फ़ातिहा पढ़ा. वे भूल जाते हैं कि ये कब्रें हमेशा यहीं रहेंगी. उन्होंने हमें 13 जुलाई को रोका था, लेकिन वे कब तक ऐसा करते रहेंगे? तो? हम जब चाहें यहां आएंगे और शहीदों को याद करेंगे..."