ब्रिटेन (United Kingdom) ने नई ट्रेवल गाइडलाइंस जारी की है, जिसके मुताबिक अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में वैक्सीन का टीका लगवाए लोगों को भी इंग्लैंड आने पर अनिवार्य तौर पर 10 दिनों की क्वारंटीन में रहना होगा और RT-PCR टेस्ट करवाने होंगे. ब्रिटेन ने इस सूची का विस्तार करते हुए उसमें भारत, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, जॉर्डन को भी शामिल किया है और कहा है कि यहां टीका लगवाए लोगों को गैर टीकाकृत (unvaccinated) माना जाएगा और उन्हें इसके तहत नियमों को मानने पड़ेंगे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश (Jairam Rakesh) ने ब्रिटेन के इस कदम की आलोचना की है और इसे नस्लवादी करार दिया है. उन्होंने कोविड रोधी टीका कोविशील्ड का जिक्र करते हुए कहा कि जब यह टीका मूल रूप से ब्रिटेन में ही विकसित किया गया है और उसे सीरम इन्स्टीट्यूट ने भारत में उत्पादन कर वितरित किया है तो उसे मान्यता क्यों नहीं दी गई?
रमेश ने एक ब्रिटिश एविएशन एनालिस्ट Alex Macheras के ट्वीट को साझा करते हुए लिखा है, "यह बिल्कुल विचित्र है! कोविशील्ड को मूल रूप से यूके में ही विकसित किया गया था और सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे ने उसे देश को आपूर्ति की है, इस फैसले से नस्लवाद की बू आती है."
Alex Macheras ने लिखा है कि ब्रिटेन ने उन देशों के लोगों को भी छूट देने से मना कर दिया है, जहां ब्रिटेन में दी जाने वाली वैक्सीन यानी फाइजर, एस्ट्राजेनेका या मॉडर्ना की ही वैक्सीन दी जा रही है. उन्होंने लिखा है कि यूके की नई ट्रेवल पॉलिसी को बेवजह बोझिल बना दिया गया है. माना जा रहा है कि ब्रिटेन के इस फैसले से कई देश नाराज हैं.