- भारत प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि और हिमगिरि को नौसेना में शामिल करने जा रहा है
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों युद्धपोतों को एक साथ विभिन्न शिपयार्डों से कमीशन करने की जानकारी दी
- उदयगिरि और हिमगिरि दोनों जहाज ब्लू वाटर अभियानों के लिए अत्याधुनिक डिजाइन और हथियार प्रणालियों से लैस
ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों के पाकिस्तानी ठिकाने नष्ट कर भारत ने दिखा दिया कि अब जो भी हमारे देश में दशहतगर्दी फैलाएगा, उसे किसी हाल बख्शा नहीं जाएगा. भले ही वो पाकिस्तान में कहीं भी छिपा बैठा हो. पाकिस्तान से सैन्य संघर्ष के बाद से भारत तेजी से अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करता जा रहा है. इस बीच एक और अच्छी खबर ये है कि समुद्र में भारतीय सेना का दबदबा और बढ़ जाएगा. दरअसल इंडियन नेवी में अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि और हिमगिरि को आज कमीशन किया जाएगा. इसी के साथ भारतीय नेवी की ताकत में और अधिक इजाफा हो जाएगा. भारतीय नेवी दुनिया की सबसे बेहतरीन और ताकतवर नेवी में गिनी जाती है.
अलग शिपयार्ड में बने युद्धपोत एक साथ होंगे कमीशन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर कर उदयगिरि और हिमगिरि के नौसेना में शामिल किए जाने के बारे में जानकारी दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "26 अगस्त को मैं विशाखापट्टनम में नवीनतम अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरी और हिमगिरी के कमीशनिंग समारोह में शामिल होऊंगा." उन्होंने आगे कहा, "यह पहला मौका होगा जब दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने दो प्रमुख युद्धपोतों को एक साथ कमीशन किया जाएगा, जो भारत के पूर्वी समुद्री तट के बढ़ते महत्व को दर्शाता है.
तकनीक और हथियारों की ताकत
- MF-STAR रडार सिस्टम: यह इज़रायली तकनीक से विकसित रडार सिस्टम है, जो इस युद्धपोत की आंख और दिमाग की तरह काम करता है.
- Super Rapid Gun Mount: 76 मिमी की यह इटालियन तोप भारत में ही भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित की गई है.
- MR-SAM लॉन्चर्स: सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, जो 70 किलोमीटर से अधिक दूरी तक हवाई लक्ष्यों को भेद सकती है. कुल 16 लॉन्चर्स इस युद्धपोत पर लगे हैं.
- BrahMos मिसाइल सिस्टम: यह युद्धपोत आठ ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है, जो समुद्री और ज़मीनी लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं.
- RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर्स: रूस निर्मित यह प्रणाली पनडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए पानी में रॉकेट दागती है.
- स्वदेशी निर्माण, वैश्विक तकनीक: INS उदयगिरी में कई विदेशी उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन इन सभी को भारतीय तकनीक और विशेषज्ञता के साथ एकीकृत.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कुछ कहा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं. विशाखापत्तनम स्थित नौसेना बेस पर अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि और हिमगिरि को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा. उदयगिरि और हिमगिरि प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) श्रेणी के फ्रिगेट के अनुवर्ती जहाज हैं. दोनों जहाजों में डिजाइन, स्टील्थ, हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं. ये ब्लू वाटर परिस्थितियों में समुद्री अभियानों की पूरी श्रृंखला को अंजाम देने में सक्षम हैं.
क्यों खास है इंडियन नेवी का उदयगिरी
मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित उदयगिरि और कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा निर्मित हिमगिरि देश की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता के साथ-साथ भारत के प्रमुख रक्षा शिपयार्डों के बीच तालमेल को भी दर्शाते हैं. उदयगिरि को अपनी श्रेणी का सबसे तेज जहाज होने का गौरव भी प्राप्त है. यह भारतीय शिपयार्डों द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर निर्माण पद्धति का परिणाम है.
भारत के लिए क्यों बड़ी उपलब्धि
दोनों फ्रिगेट भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा आंतरिक रूप से डिजाइन किए गए हैं और विशेष रूप से, उदयगिरि युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन 100वां जहाज है, जो स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन के पांच दशकों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इन जहाजों में आधुनिक संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन संयंत्र, अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली और भारतीय निर्माताओं द्वारा विकसित उन्नत हथियारों और सेंसरों का एक समूह है.
लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री वाले ये जहाज, सैकड़ों स्वदेशी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम द्वारा समर्थित, रक्षा निर्माण में सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं. उदयगिरि और हिमगिरि के नौसेना में शामिल होने से नौसेना की युद्धक तत्परता बढ़ेगी और युद्धपोत डिजाइन एवं निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के देश के संकल्प की पुष्टि होगी. नौसेना में शामिल होने के बाद, ये दोनों युद्धपोत पूर्वी बेड़े में शामिल हो जाएंगे, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने की देश की क्षमता और मजबूत होगी.
(IANS इनपुट्स के साथ)