अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी Twitter Inc. ने केंद्रीय आईटी मंत्रालय से एक औपचारिक बातचीत के लिए संपर्क किया है. सरकार ने ट्विटर को कुछ ट्विटर हैंडल्स की लिस्ट भेजी थी और किसान आंदोलन के मुद्दे पर ट्विटर पर भड़काऊ और भ्रामक सामग्री फैलाने की गतिविधियों में लिप्त होने की बात कहकर इन्हें हटाने को कहा था. ट्विटर ने बताया है कि उसने बातचीत के लिए सरकार से संपर्क किया है और 'उसके लिए उसके कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे ऊपर है.' ट्विटर की यह प्रतिक्रिया तब आई है, जब सरकार ने और 1000 से ऊपर के अकाउट्ंस को ट्विटर से हटाने को कहा है.
ट्विटर ने क्या कहा है?
ट्विटर प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि 'हमारे लिए हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा बड़ी प्राथमिकता है. हम भारत सरकार से पूरे सम्मान के साथ संपर्क में बने हुए हैं और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के आदरणीय मंत्री से एक औपचारिक बातचीत के लिए संपर्क किया है.'
कंपनी ने यह भी कहा कि उसने सरकार की ओर से नॉन-कंप्लायंस नोटिस मिलने की बात को भी स्वीकारा है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि सरकार ने ट्विटर को 1,178 हैंडल्स के नाम दिए थे और इन्हें हटाने को कहा था. सरकार ने इन्हें पाकिस्तान समर्थित और खालिस्तान समर्थकों का हैंडल बताया था. सूत्रों ने बताया था कि ट्विटर ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया था.
कंपनी के लेटेस्ट बयान में प्रवक्ता ने कहा है, 'हम इस बात में दृढ़ता के साथ विश्वास करते हैं कि सूचनाओं के मुक्त आदान-प्रदान से वैश्विक तौर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और ट्वीट का प्रवाह बना रहना चाहिए.' कंपनी ने कहा कि वो ऐसे रिपोर्ट्स पर उचित कदम उठाती है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करती है कि 'सार्वजनिक संवाद की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और मूलभूत सिद्धांत बने रहें'.
सरकार ने क्या कहा था?
31 जनवरी को आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को 257 हैंडल्स और ट्वीट्स की लिस्ट भेजी थी. इन्हें ब्लॉक करने का भी वही कारण दिया गया था. ट्विटर ने इन अकाउंंट्स को पहले ब्लॉक कर दिया, लेकिन कुछ घंटों के बाद इन्हें वापस अनब्लॉक कर दिया गया था.
फिर 4 फरवरी को मंत्रालय ने ऐसे 1,178 हैंडल्स की लिस्ट भेजी. सुरक्षा एजेंसियों ने इनको पाकिस्तान समर्थित और विदेशों से ऑपरेट हो रहे खालिस्तान समर्थकों के अकाउंट्स के तौर पर चिन्हित किया था, जो कथित रूप से देश में किसान आंदोलन के बीच सामाजिक और कानूनी अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे थे. सरकार ने यह भी कहा इनमें से बहुत से अकाउंट्स ऑटोमेटेड बॉट्स थे जो आंदोलन से जुड़ी भ्रामक और भड़काऊ सामग्री तेजी से फैला रहे थे.
कुछ दिनों पहले ट्विटर के ग्लोबल CEO जैक डॉर्सी ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने वाले कुछ विदेशी सेलेब्रिटीज़ के ट्वीट को लाइक किया था. ऐसे में उनकी तटस्थता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.