मशहूर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के कोरोना वैक्सीन (vaccines) को लेकर एक ट्वीट को ट्विटर ने 'भ्रमित करने वाला' माना है, इसके बाद 64 वर्षीय इस वकील ने 'अंधाधुंध' टीकाकरण के खिलाफ अपने अभियान की रफ्तार और तेज कर दी है. प्रशांत भूषण ने एक केस से संबंधित न्यूज आर्टिकल अटैच किया, जिसमें 45 साल की महिला की कोविड-19 वैक्सीन लेने के 10 दिन बाद मौत हो गई थी. उन्होंने सोमवार सुबह ट्वीट किया था कि 'प्रयोग के तौर पर और बिना टेस्ट किए गए टीकों के वैश्विक टीकाकरण को बढ़ावा देना, खासतौर पर युवा और कोविड से उबरे लोगों के लिए, उचित नहीं है.'
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एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'स्वस्थ युवाओं के कोविड के कारण गंभीर असर या मरने की आशंका बेहद कम है. इसके बजाय उनकी वैक्सीन के कारण मौत की आशंका अधिक है. कोविड से रिकवर हुए लोगों में वैक्सीन की तुलना में अधिक बेहतर नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता (नेचुरल इम्युनिटी) होती है. वैक्सीन उनकी अर्जित नेचुरल इम्युनिटी (Acquired natural immunity) को भी संकट में डाल सकता है.' इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निंदा का सामना करना पड़ा. इसके कंटेंट को भ्रामक माना गया, साथ ही लोगों ने उनके विचारों की भी जमकर आलोचना की. इस आलोचना से अविचलित प्रशांत ने एक अन्य पोस्ट में वैक्सीन को लेकर उनके संशय (vaccine scepticism) के बारे में बताते हुए कहा कि इन विचारों की आलोचना से वे हैरान हैं.
ट्विटर की ओर से यह कदम, कुछ सप्ताह पहले के इसी तरह के मामले के बाद सामने आया है, इसमें बीजेपी नेता संबित पात्रा ने ट्वीट में 'हेरफेर' की शिकायत करते हुए विपक्षी कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया था कि वह सरकार की कोविड की कमियों को उजागर करने के लिए 'टूलकिट' शेयर कर रही है.