तुर्किये और पाकिस्‍तान का गठजोड़, जानिए भारत के लिए कैसे पेश कर रहा चुनौती

पाकिस्‍तान को मिल रहे तुर्किये के जुबानी समर्थन से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे पाकिस्‍तान और तुर्किये की संयुक्‍त चुनौती से भारत को क्‍या है नुकसान और कैसे वह इससे निपट रहा है. 

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तुर्किये और पाकिस्‍तान विचारधारा को लेकर एक समान धरातल पर खड़े नजर आते हैं.
नई दिल्‍ली:

भारत और पाकिस्‍तान के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष के बाद 10 मई को सीजफायर हो गया. इस संघर्ष के दौरान और सीजफायर के बाद भी पाकिस्‍तान ने सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन से हमले किए. भारत के एयर डिफेंस को यह ड्रोन पार नहीं कर सके और ढेर कर दिए गए. यह ड्रोन पाकिस्‍तान को उसके दोस्‍त और कई मौकों पर भारत के खिलाफ अपना रुख दर्शा चुके तुर्किये से मिले थे. अटकलें हैं कि तुर्किये ने इस संघर्ष में पाकिस्‍तान की सहायता के लिए उसे हथियार दिए, लेकिन तुर्किये ने इससे इनकार किया है. हालांकि पाकिस्‍तान को मिल रहे तुर्किये के जुबानी समर्थन से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे पाकिस्‍तान और तुर्किये की संयुक्‍त चुनौती से भारत को क्‍या है नुकसान और कैसे वह इससे निपट रहा है. 

भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च करने के साथ ही पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव शीर्ष पर पहुंच गया. भारत के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के बाद तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप अर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात की और अपनी एकजुटता व्यक्त की. खास बात ये है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के दौरान पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज नवाज शरीफ खुद तुर्किये में थे. 

हथियारों के साथ पाकिस्‍तान पहुंचा तुर्किये का एयरक्राफ्ट!

इस हमले के बाद ही भारत और पाकिस्‍तान के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ गई थी और पाकिस्‍तान घबरा गया था. ऐसी कई रिपोर्ट हैं जो यह बताती हैं कि पहलगाम हमले के बाद तुर्किये के सी-130 हरक्‍यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हथियारों को लेकर एक के बाद एक पाकिस्‍तान पहुंचे. इसके बाद से ही अटकलें तेज हो गईं कि आखिरी वक्‍त में तुर्किये ने पाकिस्‍तान को हथियार मुहैया कराए हैं. हालांकि तुर्किये की सरकार ने इसका खंडन किया है. वहीं तुर्किये के एक प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्‍तानी वायुसेना मुख्‍यालय का दौरा भी किया गया था. 

साथ ही रिपोर्ट्स बताती हैं कि तुर्किये नौसेना का एक युद्धपोत पिछले रविवार को कराची बंदरगाह पर पहुंचा. तुर्किये के अधिकारियों ने इसे सामान्य बताया, लेकिन समय इसे संदिग्‍ध बना रहा है. 

पाकिस्‍तान और तुर्किये आखिर क्‍यों आए हैं साथ? 

तुर्किये और पाकिस्‍तान विचारधारा को लेकर एक समान धरातल पर खड़े नजर आते हैं. दोनों खुद की सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से अलग एक इस्‍लामी जियोपॉलिटिकल गुट के रूप में पहचान बनाने की कोशिश में जुटे हैं. इसमें तुर्किये के राष्‍ट्रपति तैयब अर्दोगन की वह महत्‍वाकांक्षा भी शामिल है, जिसमें वह मुस्लिम उम्‍माह का नेतृत्‍व करना चाहते हैं. ऐसे में दोनों का साथ आना बहुत हद तक सामान्‍य है. 

कश्‍मीर को लेकर आग उगलता रहा है तुर्किये 

तुर्किये और पाकिस्‍तान का गठजोड़ सिर्फ रक्षा सौदों तक ही सीमित नहीं है. तुर्किये कश्‍मीर के मुद्दे पर हमेशा से ही पाकिस्‍तान के पाले में खड़ा नजर आता है. इसी साल फरवरी में तुर्की के राष्‍ट्रपति अर्दोगन ने कश्‍मीरियों के साथ खड़े होने की दम भरा था. हालांकि भारत ने तुर्किये के राजदूत के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया था. उधर, अर्दोगन की पाकिस्‍तान से दोस्‍ती का आलम यह है कि वह कम से कम 10 बार पाकिस्‍तान की यात्रा कर चुके हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच डिफेंस प्रोडक्‍शन और ट्रेनिंग में सहयोग लगातार बढ़ रहा है. 

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स्‍टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, 2015-2019 और 2020-2024 के बीच तुर्की के हथियारों के निर्यात में 103% की बढ़ोतरी हुई है. लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के अनुसार, 2020 तक तुर्की पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया था. हालांकि चीन अब भी पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. 

तुर्किये और पाकिस्‍तान के बीच रक्षा सहयोग में भी लगातार इजाफा हो रहा है. साल 2018 में पाकिस्‍तान ने तुर्की की सरकारी रक्षा कंपनी ASFAT के साथ 1.5 अरब डॉलर का समझौता किया था. इसके तहत तुर्किये पाकिस्‍तान के साथ चार MILGEM-क्लास के युद्धपोत भी देगा. साथ ही दोनों देशों ने एक स्‍ट्रैटेजिक कॉपरेशन काउंसिल भी बनाया है. 

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भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है अजरबैजान 

इसके साथ ही अजरबैजान ने भी पाकिस्‍तान के लिए अपना समर्थन व्‍यक्‍त किया है. अजरबैजान भारत के लिए एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत अजरबैजान से कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार था, जिसने 1.227 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था. 

वहीं तुर्की के साथ भारत का व्‍यापार भी हालिया सालों में काफी बढ़ा है. दोनों देशों के बीच 2022-23 में कुल व्यापार 13.8 बिलियन डॉलर को पार कर गया. वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच यह व्यापार 10.43 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारत ने 6.65 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया और 3.78 बिलियन डॉलर का आयात किया. वहीं तुर्किये जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्‍या पिछले साल 3.3 लाख रही. यह 2022 की तुलना में 20 से भी ज्‍यादा फीसदी का इजाफा है.  

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हालांकि पाकिस्‍तान के साथ भारत की टेंशन का असर अब दोनों देशों के साथ व्‍यापार और पर्यटन पर भी पड़ सकता है. 

तुर्किये को मात देने के लिए क्‍या कर रहा भारत 

पाकिस्‍तान की दुनिया में एक आतंकियों के पनाहगार मुल्‍क के रूप में छवि बन रही है. ओसामा बिन लादेन के पाकिस्‍तान में पकड़े जाने और दुनिया में होने वाले आतंकी हमलों का पाकिस्‍तानी कनेक्‍शन निकलने से यह धारणा लगातार पुष्‍ट हो रही है. हालांकि तुर्किये से निपटने के लिए भारत ग्रीस और साइप्रस से अपने संबंधों को लगातार मजबूत करने में जुटा है. यह तुर्किये और पाकिस्तान के रुख के विपरीत है. वहीं ग्रीस ने कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन करके जवाब दिया है. 

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इसके साथ ही दक्षिण काकेशस में भारत लगातार आर्मेनिया का समर्थन कर रहा है. आर्मेनिया लंबे वक्‍त से नागोर्नो-कराबाख इलाके को लेकर अजरबैजान के साथ संघर्ष में उलझा है. हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयात करने वाला देश भारत आर्मेनिया के लिए सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. आर्मेनिया और अजरबैजान की जंग में तुर्की और पाकिस्‍तान दोनों ही अजरबैजान के साथ खड़े नजर आए थे. हालांकि भारत ने आर्मेनिया के साथ अपने समर्थन और हथियारों से दोनों देशों को करारा जवाब दिया है. 

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