ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया हिल गई, भारत के लिए कैसे मौका? कौन से सेक्टर को फायदा यहां जानिए

Trump Tariff War Opportunity For India: ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच भारत को कई क्षेत्रों में बड़े मौके मिल गए हैं. भारत इनका लाभ उठाने की तैयारी में है.

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Trump Tariff War Opportunity For India: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद भी भारत लगातार तरक्की कर सकता है.

Trump Tariff War Opportunity For India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सदी का सबसे बड़ा टैरिफ वॉर छेड़ दिया है. इससे दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था हिल गई है. ट्रंप ने अमेरिका में एक्सपोर्ट करने वाले कम से कम 60 देशों पर 10% से ज्यादा टैक्स लगाया है. भारत के अमेरिका में एक्सपोर्ट पर 26% टैरिफ लगाया है. इसके चलते भारत सबसे ज़्यादा टैरिफ प्रभावित देशों में शामिल हो गया है. 

बर्नस्टीन रिपोर्ट में क्या है

बर्नस्टीन ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत टैरिफ चुनौतियों को आसानी से पार कर जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की तरफ से ट्रेड वॉर को बढ़ाने की बजाय अमेरिका के साथ बातचीत करने की अधिक संभावना है. इससे भारत में कुछ शुरुआती नकारात्मक बाजार प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन उम्मीद है कि वर्ष की दूसरी छमाही में उसकी अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि भारत की जीडीपी 'आत्मनिर्भरता' की बदौलत ट्रंप टैरिफ से थोड़े समय में केवल 0.1% की गिरावट आएगी.

उद्योग जगत क्यों खुश

पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि भारत की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग और प्रोडक्शन मजबूत बनी हुई है. इन्हें सबसे ज्यादा फायदा प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी रणनीतिक नीतियों के माध्यम से हुआ है. इनके चलते देश को आर्थिक लचीलापन बनाए रखने में मदद मिलेगी. एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि भारत पर टैरिफ का बुरा असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में अधिक मजबूत है. हमारा कारोबार बाहर से ज्यादा अपने देश में ही होता है. 

खुश होने का ये रहा कारण

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि चीन, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड और बांग्लादेश सहित कई एशियाई और यूरोपीय देशों पर हाई टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले से भारत को दुनिया के बिजनेस और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता है. श्रीवास्तव ने कहा कि स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो से संबंधित वस्तुओं के भारतीय एक्सपोर्ट पर 25% टैरिफ लगेगा, जबकि फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, तांबा और ऊर्जा उत्पादों पर कर नहीं लगेगा. उद्योग निकाय आईईएसए ने गुरुवार को कहा कि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए अमेरिका ने सेमीकंडक्टर को टैरिफ से बाहर रखा है. हालांकि, टैरिफ वॉर इसलिए भारत के लिए घाटे का सौदा है, क्योंकि अमेरिका को नई दिल्ली सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करता है.

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किन देशों पर कितना टैरिफ

ऐसा नहीं है कि भारत पर ही अमेरिका ने सख्त टैरिफ लगाया है. चीन अब कई वस्तुओं पर 50% से अधिक टैरिफ का सामना कर रहा है, जबकि यूरोपीय संघ, जापान, वियतनाम और अन्य देशों पर भी भारी टैरिफ लगाए गए हैं. अब ये देश भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं. इससे इन देशों से अमेरिका का ट्रेड वॉर और बड़े स्तर पर चला जाएगा. भारतीय एक्सपोर्ट पर 26% टैरिफ लगा है तो यूरोपीय संघ पर 20%, जापान पर 24% और दक्षिण कोरिया पर 25% से भी थोड़ा अधिक टैरिफ लगाया गया है. हालांकि, इन देशों चीन पर लगाए गए 54% की दर से टैरिफ काफी कम है. वियतनाम पर 46% टैरिफ लगाया गया है, वहीं थाईलैंड और इंडोनेशिया को क्रमशः 36% और 32% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है. यूके पर 10% और स्विटजरलैंड पर 34% टैरिफ लगा है. हालांकि, इन देशों के साथ भारत की सीधे प्रतिस्पर्धा नहीं है. एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में, केवल मलेशिया कुछ क्षेत्रों में भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करता है. मलेशिया पर 24% टैरिफ लगा है. 

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टैरिफ की घोषणा करते हुए, ट्रंप ने मोदी को एक "महान मित्र" बताया, लेकिन भारत की व्यापार नीतियों के लिए आवश्यक प्रतिक्रिया के रूप में उपायों का बचाव किया. उन्होंने कहा, "आप मेरे मित्र हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं." अमेरिकी राष्ट्रपति ने नए टैरिफ को "छूट वाला पारस्परिक टैरिफ" कहा, जिसका उद्देश्य अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च शुल्कों का मुकाबला करना है.

ट्रंप टैरिफ से कुछ उद्योगों को लाभ हो सकता है

भारत के लिए टैरिफ एक बड़ा झटका है. इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न एवं आभूषण सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को टैरिफ का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. हालांकि, सरकारी अधिकारियों और उद्योगपतियों ने चिंताओं को कम करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि भारत अभी भी अपने कुछ प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यह एक मिश्रित स्थिति है और भारत के लिए कोई झटका नहीं है."

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फार्मास्यूटिकल्स को ट्रंप टैरिफ से छूट

भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग को एक महत्वपूर्ण राहत देते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मास्यूटिकल्स को छूट दी है. भारत से अमेरिका को फार्मास्यूटिकल्स निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में से एक है. गुरुवार को घोषित इस निर्णय से भारतीय दवा निर्माताओं को व्यापार असंतुलन का मुकाबला करने के उद्देश्य से ट्रंप के व्यापक टैरिफ उपायों के तहत अतिरिक्त शुल्क से छूट मिल गई है. अमेरिकी बाजार भारत के दवा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, जो इसके कुल निर्यात का 30% है. दवा उद्योग ने छूट का स्वागत करते हुए कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा में सस्ती जेनेरिक दवाओं की आवश्यक भूमिका को उजागर करता है.

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कृषि और खाद्य में भी फायदा

ट्रंप टैरिफ के बावजूद कृषि निर्यात मजबूत हो सकता है. भारतीय वस्तुओं पर हाल ही में घोषित 26% टैरिफ के बावजूद, अमेरिका को भारत के कृषि निर्यात के स्थिर रहने या यहां तक ​​कि बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों को अधिक शुल्क का सामना करना पड़ रहा है. कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा कि भारत के कृषि निर्यात पर अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कम प्रभाव पड़ने की संभावना है. भारतीय वस्तुओं पर ट्रंप के 26% टैरिफ का समुद्री खाद्य और चावल जैसे प्रमुख कृषि निर्यातों पर सीमित प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र के अन्य देशों पर लगाए गए शुल्क काफी अधिक हैं. समुद्री खाद्य निर्यात, विशेष रूप से झींगा के लिए, गुलाटी ने कहा कि भारत के सापेक्ष टैरिफ लाभ, साथ ही समग्र अमेरिकी खाद्य व्यय में झींगा के छोटे हिस्से का मतलब है कि मांग में उल्लेखनीय रूप से गिरावट आने की संभावना नहीं है. नतीजतन, भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातकों को अमेरिका के साथ अपने व्यापार में कोई बड़ा व्यवधान नहीं दिख सकता है, और यहां तक ​​कि अन्य निर्यातक देशों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त भी हासिल कर सकते हैं.

ट्रंप टैरिफ से भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग बेहतर स्थिति में

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात क्षेत्र में पड़ोसी चीन और वियतनाम से भी बेहतर स्थिति में है, क्योंकि हाल ही में लगाए गए टैरिफ भारत के लिए उसके प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बहुत कम हैं. इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने कहा कि पारस्परिक टैरिफ घोषणाओं के पहले दौर में भारत एक अनुकूल स्थिति में उभरा है. चीन, वियतनाम, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत ने बेहतर मैनेजमेंट किया. ICEA ने इस परिणाम का श्रेय भारत सरकार की तरफ से अमेरिका से ट्रेड पर बातचीत को दिया. हालांकि, ब्राजील और मिस्र जैसे कुछ देशों ने भारत से भी अच्छी तरह से डील किया. फिर भी भारत की स्थिति चीन और वियतनाम की तुलना में मजबूत है. चीन को अब 54%-79% तक के संयुक्त टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जबकि वियतनाम को 46% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है. 

कपड़ा उद्योग को भी फायदा

भारत का कपड़ा क्षेत्र भी लाभ के लिए तैयार है. भारत पर 26% पारस्परिक टैरिफ लगाने का ट्रंप का फैसला देश के परिधान और वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह भारत को अमेरिकी खरीदारों के लिए एक अधिक आकर्षक सोर्सिंग गंतव्य बनाता है. वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया, पाकिस्तान और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी कपड़ा निर्यातक देशों को काफी अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ा है, जो भारत के पक्ष में काम कर सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय वस्त्रों का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है. 2023-24 में भारत का कपड़ा निर्यात लगभग 36 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जिसमें से अमेरिका का हिस्सा लगभग 28% या 10 बिलियन अमरीकी डॉलर था. भारत के कपड़ा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जो 2016-17 और 2017-18 में 21% से बढ़कर 2019-20 में 25% हो गई है, जो 2022-23 में 29% तक पहुंच गई है.

ट्रंप टैरिफ से भारतीय स्टील को भी फायदा

भारत के घरेलू स्टील उद्योग को राहत मिली है क्योंकि ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों को अतिरिक्त पारस्परिक टैरिफ से छूट दी है. अमेरिका ने पिछले महीने स्टील और एल्युमीनियम निर्यात पर 25% टैरिफ लगाया था, लेकिन नवीनतम कदम यह सुनिश्चित करता है कि इन धातुओं को नए टैरिफ ढांचे के तहत आगे कोई शुल्क नहीं देना पड़ेगा. बुधवार को व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक फैक्टशीट में छूटों को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि “कुछ सामान पारस्परिक टैरिफ के अधीन नहीं होंगे. इनमें स्टील और एल्युमीनियम उत्पाद और ऑटो, ऑटो पार्ट्स शामिल हैं जो पहले से ही धारा 232 टैरिफ के अधीन हैं.” हालांकि यह छूट भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम निर्यात को अतिरिक्त लागत से बचाती है, लेकिन उद्योग प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि वैश्विक व्यापार वातावरण चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे कुछ एशियाई इस्पात उत्पादक देशों के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाजारों तक पहुंच अधिक प्रतिबंधित होती जा रही है, भारत में डंपिंग बढ़ने का जोखिम है. 

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