त्रिपुरा सरकार ने एक शेर और एक शेरनी के नाम ‘अकबर' और ‘सीता' रखने के मामले में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी प्रवीण एल अग्रवाल को निलंबित कर दिया. इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने एक मामला दर्ज कराया था. शेर और शेरनी को त्रिपुरा के सिपाहीजाला वन्य अभयारण्य से 12 फरवरी को सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क भेजा गया था.
विहिप की उत्तर पश्चिम बंगाल इकाई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की और प्रार्थना की कि शेर और शेरनी के नाम बदले जाएं, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
त्रिपुरा के वन सचिव अविनाश कनफडे ने कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव और पारिस्थितकी तंत्र) के रूप में पदस्थ अग्रवाल को घटना के सिलसिले में 22 फरवरी को निलंबित कर दिया गया था.
अदालत ने पश्चिम बंगाल चिड़ियाघर प्राधिकरण से कहा था कि शेर और शेरनी के नाम बदलने पर विचार किया जाए. उसने कहा कि इस तरह के नाम रखकर अनावश्यक विवाद क्यों पैदा किया गया?
शेरनी का नाम 'सीता' और शेर का 'अकबर' क्यों? कलकत्ता HC ने बंगाल सरकार को दिया नाम बदलने का आदेश
त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने पूरे विवाद पर विचार करने के बाद अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा है. अग्रवाल पहले मुख्य वन्यजीव वार्डन थे.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अग्रवाल ने शेर और शेरनी का नाम रखने की बात से इनकार किया, लेकिन बाद में पता चला कि पश्चिम बंगाल भेजने से पहले जानवरों के नाम रखे गए थे.
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अग्रवाल जानवरों की स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान त्रिपुरा के मुख्य वन्यजीव वार्डन थे, इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया.''
अग्रवाल से इस बारे में बात नहीं हो सकी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)