भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है. राज्य के कुल 60 विधानसभा सीटों पर 16 फरवरी को मतदान होना है. वहीं, चुनाव परिणाम 2 मार्च को आएंगे. चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी ताकत झोंकी हुई है. चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां अपने "मजबूत चेहरों" को जनता के बीच भेज रही है.
त्रिपुरा में कांग्रस नेता बिराजित सिन्हा को मजबूत नेताओं में से एक माना जाता है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिन्हा बीते कई महीनों से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. वे साल 1969 से राजनीति में सक्रीय हैं. छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सिन्हा 1972 से कांग्रेस के सक्रीय सदस्य हैं.
उन्हें 1978 में त्रिपुरा राज्य युवा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और 1990 तक इस भूमिका में बने रहे. उन्होंने 1988 से 1993 तक त्रिपुरा में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया है. उन्होंने कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, जिनमें भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की सदस्यता शामिल है.
साल 1952 में जन्मे सिन्हा मूल रूप से त्रिपुरा के ही निवासी हैं और पांच बार विधायक रह चुके हैं. उनके परिवार में उनकी पत्नी कंचन सिन्हा और दो बच्चे विशाल सिन्हा और ऋषिराज सिन्हा हैं.
उन्हें पहली बार 1988 में त्रिपुरा विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना गया था. वे 1988 से 1993 तक कैबिनेट मंत्री रहे. 1998 में वे फिर से विधायक चुने गए और 1998 से 2000 तक त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के उप नेता रहे. 2003 विधानसभा में चुनावों में वे राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, जहां वे अपनी सीट से फिर से चुने गए, लेकिन पार्टी को बहुमत नहीं मिला.
साल 2008 और 2013 विधानसभा चुनाव में, उन्हें कैलाशहर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए फिर से चुना गया. उन्हें 9 जनवरी 2015 को त्रिपुरा में कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
बिराजित सिन्हा राजनीति के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक गतिविधियों से भी जुड़े हुए हैं. वे आश्रय के संस्थापक-अध्यक्ष हैं. आश्रय एक पंजीकृत सामाजिक स्वैच्छिक संगठन जो स्वास्थ्य सेवा, कल्याण और राष्ट्रीय विकास के कार्यक्रम क्षेत्रों पर काम कर रहा है.
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