त्रिपुरा में कानून का नहीं, 'राजा' का राज चल रहा है : TMC का BJP CM बिप्लब पर वार

दिलचस्प बात यह है कि अभिषेक बनर्जी ने उन शब्दों का इस्तेमाल किया जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के एक पैनल ने इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनावों के बाद राजनीतिक हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया था.

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तृणमूल के सदस्यों की रिहाई के बाद अभिषेक बनर्जी ने धरना बंद किया
नई दिल्ली:

तृणमूल कांग्रेस के नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने रविवार को त्रिपुरा के खोवई जिले में "भाजपा के गुंडों" द्वारा पार्टी के पांच सदस्यों पर कथित हमले के विरोध में धरना दिया. अभिषेक बनर्जी रविवार सुबह अगरतला पहुंचे और खोवाई के पुलिस स्टेशन गए जहां तृणमूल के सदस्यों को कथित तौर पर कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में लिया गया था. करीब सात घंटे बाद तृणमूल के सदस्यों के रिहा होने के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त हुआ. त्रिपुरा की बिप्लब कुमार देब सरकार पर निशाना साधते हुए तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि त्रिपुरा में कानून के शासन के बजाय राजा का कानून है." देब को एक चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हुआ हो, आपके दिन अब गिने जा रहे हैं."

दिलचस्प बात यह है कि अभिषेक बनर्जी ने उन शब्दों का इस्तेमाल किया जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के एक पैनल ने इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनावों के बाद राजनीतिक हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया था. कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित NHRC पैनल ने कहा था कि बंगाल में कानून के शासन के बजाय शासक का कानून  है. तृणमूल नेताओं के एक समूह पर शनिवार को कथित रूप से उस समय हमला किया गया जब वे उत्तरी त्रिपुरा के अगरतला से धर्मनगर जा रहे थे. पार्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि एनएच-8 पर डंडों और अन्य हथियारों से लैस भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया.इसके बाद, भाजपा और तृणमूल के समर्थकों ने एनएच 8 पर 500 मीटर की दूरी पर नाकाबंदी की और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

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पुलिस ने बताया कि रात सात बजे रात्रि कर्फ्यू लगने के बाद यात्रा कर कोविड पाबंदियों का उल्लंघन करने को लेकर टीएमसी के 14 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.  टीएमसी की त्रिपुरा इकाई के प्रवक्ता आशीष लाल सिंह ने बताया कि उन्हें और देबांग्शु भट्टाचार्य, तानिया पोद्दार, सुदीप राहा तथा जया दत्ता समेत पार्टी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. गौरतलब है कि राहा और दत्ता को तब चोटें आयी थी, जब धलाई जिले के अंबासा में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर उनके वाहन पर हमला किया.सिंह ने बताया, ‘‘हमले के बाद हम राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से अगरतला लौट रहे थे तभी पुलिस ने खोवई में हमारे वाहनों को रोक दिया और यह कहते हुए हमें हिरासत में ले लिया कि ‘बदमाश' हम पर और हमले कर सकते हैं. तभी, भाजपा कार्यकर्ता हम पर हमला करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर कई स्थानों पर एकत्रित हो गए.''बहरहाल, पुलिस ने सुबह में बताया कि कोविड पाबंदियों का उल्लंघन करने को लेकर टीएमसी सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था

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भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने टीएमसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि (त्रिपुरा की) बिप्लब देब सरकार संकट पैदा करने वालों के खिलाफ उचित कदम उठा रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने दावा किया कि टीएमसी के पास इस पूर्वोत्तर राज्य में कानून व्यवस्था पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि पिछले तीन साल में बंगाल में 140 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति त्रिपुरा में टीएमसी को महत्व नहीं देता है। टीएमसी नेतृत्व पुलिस को उकसाने के लिए खुद ही घटनाएं करा रहा है लेकिन इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा. ''वहीं, टीएमसी के वरिष्ठ नेता फरहाद हकीम ने कहा, ‘‘भाजपा पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है और त्रिपुरा में बर्बर हमले कर रही है.''

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शनिवार को हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए टीएमसी नेताओं ने आरोप लगाया कि यह घटना साबित करती है कि त्रिपुरा में ‘‘गुंडा राज'' है और भाजपा ने इस राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों में अपनी हार भांप ली है. हमले में अपने कार्यकर्ताओं के शामिल होने से इनकार करते हुए भाजपा ने दावा किया कि त्रिपुरा में टीएमसी कहीं नहीं हैं और पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘राजनीतिक हिंसा का वायरस'' फैला रही है, जहां ‘‘बाहरी'' लोग परेशानी पैदा कर रहे हैं.

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(इनपुट्स भाषा से भी)

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