- ट्राइबल्स की जिंदगी संवारने में दो योजनाओं की बड़ी भूमिका है- पीएम जुगा और पीएम जनमन
- पीएम जुगा के तहत एक साल में 4 लाख पक्के मकान बनाए गए, करीब 700 हॉस्टल तैयार हुए हैं
- पीएम जनमन योजना के तहत 90 हजार मकान बन चुके, 92 हजार घरों तक बिजली पहुंचाई गई है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात के नर्मदा में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए. स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया. राजनीति से इतर देखें तो एक दशक पहले जनजातीय और आदिवासी शब्द सुनते ही मन में अभावों में घिरे लोगों की छवि उभरती थी. ऐसे लोग जो भोजन-पानी और रोजमर्रा की चीजों के लिए भी तरसते थे. लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है और आगे और बदल रही है.
ट्राइबल्स लोगों की जिंदगी को संवारने में मोदी सरकार की दो योजनाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है- PM JUGA यानी प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (PM JANMAN). पीएम जुगा के तहत पिछले एक साल में ही तस्वीर काफी बदली है. जनजातीय लोगों के लिए 4 लाख से अधिक पक्के मकान बनाए गए. करीब 700 हॉस्टल तैयार हुए. 70 मोबाइल मेडिकल यूनिट अब दूरदराज के इलाकों में आदिवासियों तक इलाज पहुंचा रही हैं.
इतना ही नहीं, एक साल के अंदर 26,500 गांवों में पीने के पानी की सुविधा नल के जरिए पहुंचाई गई है. 8600 से अधिक घर बिजली से रोशन हुए हैं. करीब 2200 जनजातीय गांवों में मोबाइल नेटवर्क पहुंचने से मोबाइल फोन की घंटियां बजने लगी हैं. बच्चों की देखभाल और पोषण के लिए 280 से अधिक आंगनबाड़ी सेंटर काम कर रहे हैं.
इसी तरह पीएम जनमन योजना के तहत 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के कल्याण पर फोकस किया गया है. इसका मकसद है कि बेहद दूरदराज के समुदाय भी विकास में पीछे न छूटें. 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के बजट से इस योजना के तहत 90 हजार मकान बनाए जा चुके हैं. 92 हजार घरों तक बिजली पहुंचाई गई है. लगभग 700 मोबाइल मेडिकल यूनिटें घर के दरवाजे पर इलाज की सुविधा दे रही हैं. करीब 6700 गांवों को पेयजल कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है. 1000 आंगनबाड़ी सेंटर यहां काम कर रहे हैं.
एक दशक पहले स्थिति ऐसी नहीं थी. मोदी सरकार ने 2014 में जब सत्ता संभाली थी, तब जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए सिर्फ एक मंत्रालय महज 4498 करोड़ के बजट के साथ काम करता था. पिछले 11 वर्षों में इसे राष्ट्रीय मिशन बनाकर काम किया गया है. इस वक्त 42 मंत्रालय मिलकर जनजातीय कल्याण के लिए काम करते हैं. जनजातीय लोगों पर खर्च 2014 के 24 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में सवा लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
इतना ही नहीं, जनजातीय मामलों के मंत्रालय का बजट भी तिगुना होकर 13 हजार करोड़ से अधिक हो गया है. जनजातीय लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, स्किल डेवलपमेंट और साफ-सफाई से जुड़ी 200 से ज्यादा योजनाएं चलाई जा रही हैं. मतलब साफ है कि जनजातीय लोग भी अब देश की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं और देशवासियों के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहे हैं.














