ट्रैक्टर रैली की इजाज़त नहीं देनी चाहिए थी, जिस दबाव में भी दी गई, गलत थी : दिल्ली के पूर्व ज्वॉइन्ट CP आमोद कंठ

दिल्ली के पूर्व ज्वाइंट सीपी आमोद कंठ ने कहा, आखिरकार कैसे लाल किले पर इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए? निशान साहब और दूसरे झंडों को लगा देना बहुत बेतुका था

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Farmer's Protest in Delhi: ट्रैक्‍टर रैली के दौरान किसानों की पुलिस के साथ कई स्‍थानों पर झड़प हुई

नई दिल्ली:

Kisan Rally Violence: गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ट्रैक्‍टर रैली (Tractor Rally) के दौरान हुई हिंसा के मामले में दिल्‍ली के पूर्व ज्‍वाइंट पुलिस कमिश्‍नर आमोद कंठ (Amod Kanth) ने दोटूक लहजे में कहा है कि इस रैली की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी. उन्‍होंने कहा है कि जिस भी राजनीतिक दबाव में यह हुआ, ये गलत था. आखिर गणतंत्र दिवस पर दो लाख से ज्‍यादा लोगों को दिल्ली में आने की इजाज़त कैसे दी जा सकती है? आमोद कंठ ने यह बात NDTV के साथ बातचीत के दौरान कही. बातचीत के दौरान उन्‍हें किसानों की ट्रैक्‍टर रैली के मसले पर खुलकर अपने विचार रखे. 

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दिल्ली के पूर्व ज्वाइंट सीपी आमोद कंठ ने कहा कि दो लाख से ज़्यादा प्रदर्शनकारी अलग-अलग रास्तों से दिल्ली में घुसे. 
क़रीब 35,000 ट्रैक्टर अपने आप में हथियार बन गए. उन्‍होंने कहा कि पुलिस के लिए इस स्थिति को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल था, वह भी तब, जब बड़ी संख्या में पुलिस बल गणतंत्र दिवस समारोह में था. आम तौर पर आधी दिल्ली पुलिस  (Delhi police) गणतंत्र दिवस समारोह (Republic day Ceremony)  में होती है. रैली में हुई हिंसा के मामले में उन्‍होंने कहा कि फ़ायरिंग करने की शायद आज़ादी नहीं थी या यह दिल्‍ली पुलिस के लिए संभव नहीं था. उन्‍होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिरकारकैसे लाल किले पर इतनीबड़ी संख्या में लोग पहुंच गए? निशान साहब और दूसरे झंडों को लगा देना बहुत बेतुका था. यह बहुत ही बुरा हुआ.

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पूर्व ज्वाइंट सीपी आमोद कंठ के अनुसार, ट्रैक्टर रैली की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए थी. जिस भी राजनीतिक दबाव में ये हुआ हो, ये गलत था. गणतंत्र दिवस पर आखिरकार लाखों की संख्‍या में लोगों को दिल्ली में आने की इजाज़त कैसे दी जा सकती है. ऐसा पहले भी हुआ है. इससे पहले टिकैत साहब (महेंद्र सिंह टिकैत) ने इंडिया गेट के लान्स पर कब्ज़ा कर लिया था. कल दिल्‍ली में हुई हिंसा के बारे में उन्‍होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने ज़ोरदार ढंग से इन्हें ITO पर रोका नहीं तो इंडिया गेट कितनी दूर था. एक तरीके से अच्छा हुआ कि फ़ायरिंग नहीं हुई. ऐसी रैली को इजाज़त कभी नहीं देना चाहिए.आप इसे कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि किसान नेताओं के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.उन्होंने शांति बनाए रखने की ज़िम्मेदारी ली और फिर उसे पूरा नहीं कर सके.

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