दिल्ली पुलिस ने टूलकिट केस में एक्टिविस्टि्स निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के खिलाफ सोमवार को गैर-जमानती अरेस्ट वारंट जारी किया है, जिसके बाद जैकब ने अग्रिम जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट को अप्रोच किया था. आज उनकी याचिका पर सुनवाई होनी है. उन्होंने गिरफ्तारी से चार हफ्तों की सुरक्षा मांगी है. किसान आंदोलन से जुड़े एक ऑनलाइन डॉक्यूमेंट- जिसमें कथित रूप से अस्थिरता और असंतोष फैलाने की साजिश रची गई थी- को लेकर दिल्ली पुलिस ने 4 फरवरी को एक केस दर्ज किया था.
इस केस में 22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है. सोमवार को दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन तीनों ने मिलकर यह गूगल डॉक्यूमेंट बनाया था और इसे फैलाया था. पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन तीनों ने मिलकर गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के पहले एक जूम मीटिंग कर सोशल मीडिया पर इसकी लहर पैदा करने की रणनीति बनाई थी.
निकिता जैकब ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सुरक्षा मांगी है. अपनी याचिका में निकिता ने FIR की कॉपी मांगी है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस पिछले गुरुवार को मुंबई के गोरेगांव के उनके घर सर्च वारंट लेकर आई थी और कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और डॉक्यूमेट्स लेकर गई हैं. बता दें कि शांतनु मुलुक ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच से गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा मांगी है.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि निकिता जैकब और शांतनु दोनों ही पुलिस को उनके घरों से नहीं मिले हैं. पुलिस का यह भी कहना है कि कनाडा स्थित, पुनीत नाम की एक महिला ने निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और दिशा रवि का खालिस्तानी लिंक वाले संगठन पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क कराया था, जिसके बाद इनके बीच 11 जनवरी को एक जूम मीटिंग हुई थी.