"भारत का चीन को पीछे छोड़ने की बात करना अभी...": RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

रघुराम राजन ने स्विजरलैंड के दावोस में जारी विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में थोड़ा भी सुधार होने से वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को बल मिलेगा.

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रघुराम राजन भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर थे.
दावोस:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करने के मामले में भारत के चीन की जगह ले लेने के बारे में सोचना अपरिपक्वता (Immaturity) होगी, लेकिन आगे चलकर स्थिति बदल भी सकती है.

रघुराम राजन ने स्विजरलैंड के दावोस में जारी विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में थोड़ा भी सुधार होने से वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि अब भी 12 महीने बाकी हैं और इस दौरान चीन की स्थिति का सुधरना अच्छी बात होगी. उन्होंने कहा, 'चीन इस समय महामारी का सामना कर रहा है. इस साल मार्च-अप्रैल तक उसकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है. अगर उसके विनिर्माण में सुधार होता है, तो उससे बाहर भी कीमतें कम हो सकती हैं.'

भारत के बारे में पूछे जाने पर रघुराम राजन ने कहा, 'यह तर्क अपरिपक्व है कि भारत चीन की जगह ले लेगा. इसकी वजह यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था चीन की तुलना में अभी बहुत छोटी है.' उन्होंने कहा, 'लेकिन समय बीतने के साथ स्थिति बदल भी सकती है. भारत पहले से ही दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह अपनी वृद्धि जारी रख सकता है.'

राजन ने कहा कि मौजूदा समय में नीति-निर्माताओं की नजरें श्रम बाजार के अलावा आवासीय क्षेत्र पर टिकी हुई हैं. उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि वहां घरों की बिक्री नहीं होने पर भी कीमतें नहीं गिर रही हैं. उन्होंने कहा, 'क्या सब निराशाजनक ही है. शायद नहीं, अगर पुतिन युद्ध खत्म करने का फैसला कर लेते हैं तो निश्चित रूप से हालात सुधरेंगे.'

बता दें कि दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक सोमवार को शुरू हो गई. इस बैठक में भारत के लगभग 100 प्रतिभागियों सहित हजारों लोग बर्फ से भरे स्विस स्की रिसॉर्ट शहर में इस सप्ताह 'कोऑपरेशन इन ए फ्रैगमेंटेड वर्ल्ड' पर चर्चा करेंगे. इस बार बैठक की थीम 'कोऑपरेशन इन ए फ्रैगमेंटेड वर्ल्ड' है. बैठक में यूक्रेन संकट, वैश्विक मुद्रास्फीति, जयवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा की संभावना है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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