बॉलीवुड को अब खतरा है टॉलीवुड से जो एक बड़ा और हंगामेदार प्रतिद्वंदी साबित हो रहा है

कभी बेताज बादशाह रहा बॉलीवुड को अब भारत में ही एक गंभीर प्रतिद्वंदी मिल गया है. यह प्रतिद्वंदी है दक्षिण का फिल्म उद्योग जो धमाके के साथ अधिक पैसा तो कमा ही रहा है साथ ही भारत के 24 अरब डॉलर के मीडिया और मनोरंजन बाजार पर तेजी से हावी हो रहा है.

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बॉलीवुड को अब भारत में ही एक गंभीर प्रतिद्वंदी मिल गया है
नई दिल्ली:

कभी बेताज बादशाह रहा बॉलीवुड को अब भारत में ही एक गंभीर प्रतिद्वंदी मिल गया है. यह प्रतिद्वंदी है दक्षिण का फिल्म उद्योग जो धमाके के साथ अधिक पैसा तो कमा ही रहा है साथ ही भारत के 24 अरब डॉलर के मीडिया और मनोरंजन बाजार पर तेजी से हावी हो रहा है. इतना ही नहीं, कुछ हद तक तो ये भारत की सीमा के बाहर भी अपनी पहचान बना रहे हैं. वैसे तो ये तेलुगु और कन्नड़ जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में शूट किए गए हैं लेकिन सिनेमाघरों में डब संस्करणों की स्क्रीनिंग और सब-टाईटल्स वाले स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर लाखों दर्शक इन फिल्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, "आरआरआर" फिल्म के बाद से बदलाव की ये हवा बहने लगी है. द नंबर्स वेबसाइट के अनुसार, मार्च में रिलीज़ होने के बाद से  इसने दुनिया भर में $150 मिलियन की कमाई की है जबकि रोलिंग स्टोन पत्रिका और कुछ अन्य अमेरिकी प्रकाशनों ने फिल्म की शानदार समीक्षा की है. इतना ही नहीं, "केजीएफ" और "पुष्पा" फिल्म ने कुल मिलाकर लगभग 200 मिलियन डॉलर की कमाई की जबकि 2015 और 2017 में दो पार्ट में बनी "बाहुबली" के खाते में $ 290 मिलियन गया था.

कंसल्टेंसी ऑरमैक्स मीडिया का अनुमान है कि टॉलीवुड (तेलुगु भाषा के फिल्म उद्योग) ने पिछले साल लगभग 212 मिलियन डॉलर की कमाई करते हुए बॉलीवुड को पछाड़ दिया था. बॉलीवुड ने उसी समयावधि में $ 197 मिलियन कमाए.

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दक्षिण की फिल्में कामयाबी का परचम उस समय लहरा रही हैं जब बॉलीवुड लगातार फ्लॉप फिल्मों से जूझ रही है.  बहरहाल, दक्षिण की हिट फिल्में  नेटफ्लिक्स इंक, अमेज़ॅन डॉट कॉम इंक और वॉल्ट डिज़नी कंपनी जैसे स्ट्रीमिंग दिग्गजों के लिए एक अच्छी खबर है. EY और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की मार्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का मीडिया और मनोरंजन उद्योग इस साल 17% बढ़कर 24 अरब डॉलर और फिर 2024 तक 30 अरब डॉलर हो जाएगा.

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अपने खास स्टाईल के साथ भारतीय मनोरंजन को फिर से परिभाषित करने वाले 49 वर्षीय एसएस राजामौली ने 72 मिलियन डॉलर के बजट पर "आरआरआर" की शूटिंग की जो भारत में अभूतपूर्व है. इनमें खास स्पेशल इफेक्ट देखने को मिलते हैं जैसे "आरआरआर" में एक सिग्नेचर फाइट सीन में फिल्म का हीरो एक भारी मोटरसाइकिल पकड़ लेता है और फिल्म के विलेन को मारने के लिए एक हथौड़ा (क्लब) के रूप में इसका इस्तेमाल करता है.

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राजामौली ने अपने दो दशक के निर्देशन के पूरे करियर में केवल तेलुगू फिल्म ही बनाया है जो देश में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. उन्होंने "बाहुबली" फ्रैंचाइज़ी भी बनाई, जिसके लिए उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स रामोजी फिल्म सिटी में एक विशाल कस्टम-निर्मित सेट की शूटिंग में 600 दिन बिताए.

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फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा कहती है कि सब-टाईटल्स के साथ स्ट्रीमिंग ने कुछ क्षेत्रीय फिल्मों के लिए खेल बदल दिया है. अनुपमा चोपड़ा के मुताबिक तेलुगु सिनेमा के सितारे अब अपने क्षेत्र से बाहर के दर्शकों को खोजने में सक्षम हो गए हैं. दूसरी तरफ बॉलीवुड की हिंदी-भाषा की प्रस्तुतियां "बेहद पश्चिमीकृत" हो गईं हैं. उनके फिल्में की पटकथा शिक्षित और शहरी दर्शकों पर ज्यादा टिकी होती हैं जबकि वो 70 फीसद आवादी को नजरअंदाज कर देते हैं.

बॉलीवुड को अब खतरा है टॉलीवुड से जो एक बड़ा और हंगामेदार प्रतिद्वंदी साबित हो रहा है

कभी बेताज बादशाह रहा बॉलीवुड को अब भारत में ही एक गंभीर प्रतिद्वंदी मिल गया है. यह प्रतिद्वंदी है दक्षिण का फिल्म उद्योग जो धमाके के साथ अधिक पैसा तो कमा ही रहा है साथ ही भारत के 24 अरब डॉलर के मीडिया और मनोरंजन बाजार पर तेजी से हावी हो रहा है. इतना ही नहीं, कुछ हद तक तो ये भारत की सीमा के बाहर भी अपनी पहचान बना रहे हैं. वैसे तो ये तेलुगु और कन्नड़ जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में शूट किए गए हैं लेकिन सिनेमाघरों में डब संस्करणों की स्क्रीनिंग और सब-टाईटल्स वाले स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर लाखों दर्शक इन फिल्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, "आरआरआर" फिल्म के बाद से बदलाव की ये हवा बहने लगी है. द नंबर्स वेबसाइट के अनुसार, मार्च में रिलीज़ होने के बाद से  इसने दुनिया भर में $150 मिलियन की कमाई की है जबकि रोलिंग स्टोन पत्रिका और कुछ अन्य अमेरिकी प्रकाशनों ने फिल्म की शानदार समीक्षा की है. इतना ही नहीं, "केजीएफ" और "पुष्पा" फिल्म ने कुल मिलाकर लगभग 200 मिलियन डॉलर की कमाई की जबकि 2015 और 2017 में दो पार्ट में बनी "बाहुबली" के खाते में $ 290 मिलियन गया था. कंसल्टेंसी ऑरमैक्स मीडिया का अनुमान है कि टॉलीवुड (तेलुगु भाषा के फिल्म उद्योग) ने पिछले साल लगभग 212 मिलियन डॉलर की कमाई करते हुए बॉलीवुड को पछाड़ दिया था. बॉलीवुड ने उसी समयावधि में $ 197 मिलियन कमाए.

दक्षिण की फिल्में कामयाबी का परचम उस समय लहरा रही हैं जब बॉलीवुड लगातार फ्लॉप फिल्मों से जूझ रही है.  बहरहाल, दक्षिण की हिट फिल्में  नेटफ्लिक्स इंक, अमेज़ॅन डॉट कॉम इंक और वॉल्ट डिज़नी कंपनी जैसे स्ट्रीमिंग दिग्गजों के लिए एक अच्छी खबर है. EY और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की मार्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का मीडिया और मनोरंजन उद्योग इस साल 17% बढ़कर 24 अरब डॉलर और फिर 2024 तक 30 अरब डॉलर हो जाएगा.

अपने खास स्टाईल के साथ भारतीय मनोरंजन को फिर से परिभाषित करने वाले 49 वर्षीय एसएस राजामौली ने 72 मिलियन डॉलर के बजट पर "आरआरआर" की शूटिंग की जो भारत में अभूतपूर्व है. इनमें खास स्पेशल इफेक्ट देखने को मिलते हैं जैसे "आरआरआर" में एक सिग्नेचर फाइट सीन में फिल्म का हीरो एक भारी मोटरसाइकिल पकड़ लेता है और फिल्म के विलेन को मारने के लिए एक हथौड़ा (क्लब) के रूप में इसका इस्तेमाल करता है.

राजामौली ने अपने दो दशक के निर्देशन के पूरे करियर में केवल तेलुगू फिल्म ही बनाया है जो देश में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. उन्होंने "बाहुबली" फ्रैंचाइज़ी भी बनाई, जिसके लिए उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स रामोजी फिल्म सिटी में एक विशाल कस्टम-निर्मित सेट की शूटिंग में 600 दिन बिताए.

फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा कहती है कि सब-टाईटल्स के साथ स्ट्रीमिंग ने कुछ क्षेत्रीय फिल्मों के लिए खेल बदल दिया है. अनुपमा चोपड़ा के मुताबिक तेलुगु सिनेमा के सितारे अब अपने क्षेत्र से बाहर के दर्शकों को खोजने में सक्षम हो गए हैं. दूसरी तरफ बॉलीवुड की हिंदी-भाषा की प्रस्तुतियां "बेहद वेस्टरनाइज्ड (पश्चिमीकृत)" हो गईं हैं. उनके फिल्में की पटकथा शिक्षित और शहरी दर्शकों पर ज्यादा टिकी होती हैं जबकि वो 70 फीसद आवादी को नजरअंदाज कर देते हैं.

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