फादर स्टेन स्वामी (83 वर्षीय) आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता जो पार्किंसंस रोग (Parkinson's disease) से पीड़ित हैं और उन्हें पिछले महीने भीमा-कोरेगांव मामले में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया गया था, उन्हें चार सप्ताह तक स्ट्रॉ और सिपर नहीं मिला क्योंकि एजेंसी ने बृहस्पतिवार को इस बात से इनकार किया था कि उसने स्वामी का स्ट्रॉ और सिपर जब्त कर लिया है.
रविवार को एजेंसी ने 10 बिंदुओं में विभाजित 473 शब्दों वाली एक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा है कि उसने लगभग दो महीने पहले हुई गिरफ्तारी के दौरान स्वामी के पास से स्ट्रॉ और सिपर को कभी जब्त नहीं किया. एजेंसी ने कहा, "एनआईए ने स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में अपनी व्यक्तिगत खोज की थी और ऐसा कोई स्ट्रॉ और सिपर नहीं मिला था." एजेंसी ने आगे कहा, "जैसा कि आरोपी न्यायिक हिरासत में था, मामला उसके और जेल अधिकारियों के बीच था जो महाराष्ट्र राज्य प्रशासन के अंतर्गत आता है."
आगे कहा गया है, "यह दावा किया जाना कि एनआईए ने आरोपी स्टेन स्वामी से स्ट्रॉ और सिपर बरामद किया और अदालत से स्टेन स्वामी को उन्हें तलोजा सेंट्रल जेल में एक स्ट्रॉ और सिपर की अनुमति देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए हमने 20 दिन का समय मांगा है ये गलत, असत्य और शरारतपूर्ण हैं, चूंकि एनआईए ने आरोपी से कोई स्ट्रॉ और सिपर बरामद नहीं किया और न ही उक्त आवेदन में जवाब दाखिल करने के लिए 20 दिन का समय मांगा."
चार सप्ताह से अधिक समय से स्टेन स्वामी पार्किसन रोग का हवाला देते हुए सिपर और स्ट्रॉ मांग रहे थे, पार्किर्सन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक दुर्बल विकार है जो अनैच्छिक कंपन, या मांसपेशियों में ऐंठन का कारण बन सकता है, इसमें खाने-पीने जैसे रोजमर्रा के कार्यों में भी मुश्किल होती है. कुछ रोगियों को निगलने या चबाने में भी समस्या होती है.
हम स्टेन स्वामी को ‘सिपर' और ‘स्ट्रॉ' मुहैया करा रहे हैं : जेल अधिकारी
एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार और तलोजा जेल में बंद आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को ‘सिपर' और अन्य सुविधाएं गिरफ्तारी के दूसरे दिन से मुहैया कराई जा रही है. यह बात रविवार को जेल के वरिष्ठ अधिकारी ने कही. उल्लेखनीय है कि 83 वर्षीय स्वामी पार्किंसन सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्हें आठ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. वरिष्ठ जेल अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा कि स्वामी को ‘सिपर' और ‘स्ट्रॉ' नहीं देने का आरोप ‘‘आधारहीन'' है.
उन्होंने कहा, ‘‘सिपर और स्ट्रॉ ही नहीं, हम उन्हें व्हील चेयर, चलने के लिए छड़ी सहित अन्य सुविधाएं दे रहे हैं. उन्हें दो सहायक भी मुहैया कराए गए हैं.''अधिकारी ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि वह मरीज हैं. वह पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त हैं. ऐसे में हम उनकी जरूरत के सामान क्यों नहीं मुहैया कराएंगे.''
इस बीच, दिल्ली के कुछ वकीलों ने कार्यकर्ता को एक पत्र के साथ ‘स्ट्रॉ' और ‘सिपर' का पार्सल शनिवार के तलोजा जेल भेजा. जेल को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वकीलों में शामिल नंदिता राव ने कहा, ‘‘एक वकील के नाते हमें स्थिति से दुख हुआ क्योंकि जेल नियमावली के अनुसार जिन कैदियों की विशेष जरूरत होती है, उन्हें वह चीज मुहैया कराई जाती है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि न्यायिक हिरासत के दौरान अगर किसी को सम्मानजनक तरीके से पानी पीने का अधिकार भी नहीं मिलता तो यह संविधान और मानवता के मौलिक मूल्यों का निरादर है.''उल्लेखनीय है कि स्वामी ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में याचिका दायर कर ‘सिपर' और ‘स्ट्रॉ' मुहैया कराने का अनुरोध किया था.
(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)