राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने आयकर विभाग से उन डॉक्टरों का ब्योरा मांगा है, जिन्होंने डोलो 650 बनाने वाली माइक्रो लैब्स सहित छह दवा कंपनियों से कथित तौर पर मुफ्त गिफ्ट लिए. आयकर विभाग के प्रशासनिक निकाय केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जुलाई में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली डोलो-650 टैबलेट के निर्माताओं पर गलत चिजों में लिप्त होने और चिकित्सा पेशेवरों एवं डॉक्टरों को इसके उत्पादों को बढ़ावा देने के बदले में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार वितरित करने का आरोप लगाया था. बता दें कि आयकर विभाग ने छह जुलाई को बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड के खिलाफ नौ राज्यों में 36 परिसरों पर छापेमारी की थी.
एनएमसी ने गत तीन अगस्त को एक पत्र में, सीबीडीटी के अध्यक्ष नितिन गुप्ता से शामिल डॉक्टरों के नाम, पंजीकरण संख्या और पते भेजने का अनुरोध किया था ताकि उन विवरणों को सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य चिकित्सा परिषदों को भेजा जा सके. एनएमसी के नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड (ईएमआरबी) के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने पत्र में समय-समय पर संशोधित भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 की धारा 6.8 की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो दवा कंपनियों और संबद्ध स्वास्थ्य क्षेत्र उद्योग के साथ डॉक्टरों के संबंधों में आचार संहिता निर्धारित करता है.
उन्होंने कहा कि यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि पहली बार, पंजीकृत चिकित्सक द्वारा पेशेवर कदाचार के संबंध में किसी भी शिकायत का निस्तारण संबंधित राज्य चिकित्सा परिषद द्वारा किया जाना है. मलिक ने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड (ईएमआरबी), राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग पंजीकृत चिकित्सकों के जीवन में नैतिकता लाने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा.